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चौंतीस स्थान दर्शन
कोप्टक नं० ३३
त्रसकायिक जीवों में
का भंग को.नं. १६- के भंगों में से कोई स्थान के भगों में|का भंग को १६१६ के समान जानना १ भंग जानना से कोई १ अवस्था १६ के ममान (२) नियंच गति में
जानना (२) नियंर गनि १-१ के भग को० नं०१७
१.१-१-१-१के भंग को के समान जानना
२०१७ के ममान जानना (३) मनुष्य पनि
(३) मनुष्य गति मे १-० के भंग को मं०१८
१-० के भंग को नं. के समान जानना
१- के समान जानना (४) भोग मि में
(१मोग भूमि में का भंग को० न०१५
' का ग को. . १८ के समान जानना
१ के समान जानना १६ पाहारक
१ मंग १प्रवःथा • माहारक, मनाहारक (१) नव व देवगति में दोनों का भंग | दो में ग काई (१) नरक व देवगति में दोनों का भंग दोनों में से कोई १ का भंग कीनं०१५-१६
अवस्था जान्ना १- भंग कोनं. १ जानना । १ प्रवन्या के ममान जानना
१६ के ममान । (२) तिर्यच गति में
(निर्दय गति में १ का भंग को नं०१७ के
१.१ के भंग का नं०१५ ममान जानना
के समान जानना (1) मनुष्य पनि में
(3) मनप्य पनि में १-१-१ के भंग को नं.
१.१.१-१-१ के भंग को के समन जानन.
नं.- के मभान जानना (४) भाग भू म
४ भोग भूमि में-नियंच । २ का भंग का नं० १७.
मोर मनु य गति में हरेक में, १८ के सभान जानना
| १-१ के. भंग कोन०१७
१८ के समन जानना २. उपयोग १२ गारे भंग 1 उपयोग । १०
सारे भंग १ उपयोग को० नं. २६ देखो | (१. नरक गति में अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान कुपवधि ज्ञान, मनः पर्यय पर्याप्तवन जानना पर्याप्तवत् जानना
५-६-६ के मंग कोनं० १६. सारे भंग जानना के भगों में से कोई शान ये २ पटाकर (१०) के ममान
१ उपयोग जामना (1) नरक गति में
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