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( २३६ ) कोष्टक नं० ३३
चौतीस स्थान दर्शन
त्रसकायिक जीवों में
१४ दर्शन
सारे भंग ।१ दर्शन
सारे मंग । १दर्शन को० नं. २६ देखो ! नग्क मनि में
अपने अपने स्थान के अपने अपने स्थान (१) नरक गति में पर्याप्तवत् जानना पर्याप्तवत् जानना २- के मंग कोनं १६ । धारे ए जाननः गे सभषों में ' के ग ०१६ के समान जानता
! मे कोई १ दर्शन के समान (२) तिर्यच गति में
जानना () निर्यन गनि में । १-२- -३-३ के भंग को
१-१-२ के भंग को नं. नं०१७ के समान जानना
१७ के समान जानना । (३) मनुष्य गति में
1) मनुष्य मनि २-३-३-२-१के भंग को
२-१-३-१ के मंग कोनं० नं०१८ के समान जानना
१८ के समान जानना (४) देव गति में
(४) देवगति में २-३ के भंग को नं. १
२-२-३-३ के भंग को समान जानना
नं०१६ के समान जानना (५) भोग भूमि में
। (५) भोग भूमि में २-३ के भंग को नं०१७
| २-३ के भंग कोनं०१७१८ के समान जानना
१८ के समान जानना १ भंग १लेश्या १५ लेश्या
१ मंग १लेश्या ।
पर्याप्तवत् जानना पर्याप्तपत् जानना का २६ देखो नरक गति में
अपने अपने स्थान के पपने अपने स्थान (0) नरफ गति में ३ का भंग को नं. १६ | भंगों में से कोई के अंगों में से कोई| ३ का मंग को नं०१६ के समान जानना
१ भंग जानना !१ लेश्या जानना । के समान जानना (२) तिबंध गति में
(२) तिर्यंच गति में ३-६-३-३ के भंग को० नं०
३-१ के भंग को. नं. १७ के समान जानना
१७ वे समान जानना (३) भनुध्य पनि में
(३) मनुष्य गति में ६-३-१- के भंग को. नं.
६-३-1 के अंग को० नं १८ के समान जानना ।
१. के समान जानना (४) देव गदि में
(४) दंद गति में १-३-१-१ के भंग को.नं.
३-३-१-१ के भंग को १६के समान जानना
नं० ११ के समान जानना