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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नं०१८
मनुष्ध गति
व गूगा में
४ गगम में १७ के मंगों में से कापोत लेश्या का भंग उपगम क्षायिक
का मंग से कोई११ जोड़कर २५ का मभ्यवच, उपचम क्षायिक उपगम क्षायिक अयोपदाम भंग जानना । भारत नारित्र २. जान, दर्षन , म. इन नीनों में से कोई
मूचना-भोग भूमि अपांपमम नधि ५, मनुष्य १मम्यक्त्र, मनि श्रुति
में जन्म लेने वाले गति , कपाय , लिंग ३, : अवधि ज्ञान इन तीनों में
के अपर्याप्त अवस्था शुक्न लश्या १, अहान १. से कोई 1 ज्ञान, अचक्षु ।
मिले रे ४थे गुगण * अमिव १, भब्यत्व १., दर्शन, चक्षु दर्शन अवधि
में एक कापीत लेश्या जोवन्त ६, ये २६ का मंग दर्शन तीनों में से कोई ।
ही होती है जानना १ दर्शन, क्षयोपशय
(देसी गो का ने नग्ग में लब्धि ५, चारों गतियों
गा०५४६) १ च भाग म-२६ का भंग ऊपर ' में से कोई 1 गति, चारों.
के ने माग में के कपायों में से कोई १ .
ममान यहां भी जानना | काय, तीनों लिगों में ने भाग में-२८ का भंग कर | मे कोई १ जिग, छ:
के २६ के भंग में में 'लव्यामों में में कोई ? । नपुसक बंद १, घटाकर । लेश्या, असंयम
का अंग जानना | अज्ञान १, प्रसिद्धत्व १, ।रे भाग में- का भंग ऊपर भव्यत्व १, जीवन
के २८ के भंग में से स्त्री ये १७ का भंग जानना । बेन १ घटाकर २७ का । सूचना-इस १६ वे मंग। भंग जानना
में भी ऊपर के समान : भाग में-६ का भंग ऊपर | अनेक प्रकार के भंग . के २७ भंग में में पुरुष जानना वेद १ घटाकर २६ का भंग का भग जानना भाग म-२५ को मंग ऊपर वे मुरगी
के अंगों में के के भंग में में कोच १७ का मन में कोई वंद १ घट कर २५ का उपशमक्षायिक भयोपगम | जानना भंग जानना