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१
चौतीस स्थान दर्शन
१६ आहारक
आहारक, अनाहारक
२० उपयोग
ज्ञानोपयोग दर्शनोपयोग ४
ये १२ जानना
१२
(४) भोग भूमि में तियंच- मनुष्य गति में
१ का मंग को० नं १७-१८ के समान जानना
१
(१) नरक - देव गति में
१ का मंग को० नं० १६. १६ के समान जानना (२) तिर्वच गति में
१ का मंग को नं० १७ के समान जानता (३) मनुष्य गति में
१-१-१ के मंग को० नं०
१८ के सम्मान जानना
(४) भूमि में
नियंत्र - मनुष्य गति में हरेक में
१ का भंग की० नं० १७१८ के समान जानना
؟؟
(१) नरक गति में
५-६-६ के भंग
को० नं० १६ के गमान (२) निर्दन गति में
५-६-६ के मंग को० न० १७ के समान
(३) मनुष्यगति में
५६ ६७ ६-७ के भंग को० नं०१८ के समान
जानना
( २०८ ) कोष्टक नम्बर २६
४
6)
में
तिर्यच मनुष्य गति में
१ का भंग को० नं० १७.
१८ के समान जानना
१ अवस्था
२
१ मंग ग्राहारक अवस्था आहारक अवस्था (१) नरक-देव गति में १-१ के मंग को० मं० १६-१६ के समान (२) निर्बंच गति में १-१ के भंगको नं० १= के समान जानना
(३) मनुष्य गति में
१-१-१-१-१ के मंग को
नं० १८ के समान जानना (४) भोग भूमि में तिथंच मनुष्य गति में हरेक में
I
१-१ के भंग को नं० १७
१५ समान जानना
-
सारे मंग
।
सूचना अपने अपने स्थान के गारे भंग
।
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१ उपयोग
अपने अपने कुमविज्ञान १, स्थान के गंगों में मनः पर्ययज्ञान कोई १ ये २ घटाकर (१०) उपजानना (१)गरक गति में
!
४-६ केभंग को नं० १६ के समान जानना - (१) नियंच गति में
। ४-६ के भंग को० नं० १० के समान जानना
संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों में
१ मंग
दोनों में से कोई
१ अवस्था
८
१ अवस्था कोई १ अवस्था
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सारे मंग १ उपयोग 'सूचना-पर्याप्तवतु पर्यावत् जानना
जानना
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