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चौंतीस स्थान दर्शन
( २१. ) कोष्टक नं। २६
संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों में
| ८-tक भंग को न !
१७-१८ के मान जानना २२ माखद ५3 सारे भंग १ भंग
सारे मंग १ भंग (१) मिध्यात्त , . . चौ. मिभकाययोग १ सूचना-अपने अपने अपन | मनोयोग ४,
सूचना-पर्याप्तवत पर्याप्तवन (संशय, बिनय, विपरीत, वै: मिश्र काययोग | अपने स्थान के थान के भगा| वचनयोग
जानना
जानना एकांद, प्रज्ञाम य५) मा मिथ काययोग १ | सारे भंग जानना : में से कोई१ | मो. काययोग, ( पविरम १.,
कार्माण कामयोग की न०१८ देखो । संयम जाननः । द० काययोग १, हिसक ६, हिस्य | ये ४ घटाकर (५३)
प्राहारक काययोग१. को नं. १८ में देखो । (१) नरक गति में
| ११ से १८ तक के
ये ११ पटाकर (४) ४६-४४४० के मंगोल १.१७ तक के
(1) मरक गति में १९१८ तक के कोई १ भंग (कोनं १ मे देखो) न०१६ के समान
१६ तक के | ४२-३३ भंग की नं
१६ " (1) योग १५
। अंगमा
१६ मान जानना चंग जानना (ऊपर के योग स्थान ! () तिवच गति में
-११ से १८ तक के
k२) तिर्यच गनि में ११स १८ तक के नं. देखो। ५१-४६-४२-३७ के भंग | १० से १५
४४-३६ के भंग को० न०१० से १७ " | ये मान्न बानमा को 10१७के समान
| १७ के समान जानना | भंग जानना जानना
(3) मनुग्ध गति में ११ से १ क के! भंग जानना (3) मनुष्य यति में १० से १८ तक के
२-१ के भंग को नं. १६ तक के भंग ५१-४६-४२-३७-२२-२०-२२-१-१० से १७ "
१८क सभाग जानना । ५-६-७ भंग ।
। १ का अंग . E-५-६-० के भंग
(४) देव गति में
११ से १८ तकके भंग को० न०१८ समात्र
५-६- के मंग ३-२ के धंग |
३३-३३ के मंग को से१६ २ का भंग १
१६ के समान जानमा (0) का मंग ।
(५) मोगभूमी में तिरंच ११ से १८ तक मंग (७) देवगति में ११ से १८ तक के कोई
पोर मनुर गति में १० से १७ " ५०-६५-४१-४६-४४-४०- १० मे १५ तक के
४३-३८-के अंग को से१६ " ४- के भंग ६ से १६ तक के
नं०१७-१८ के समान को नं० १६ समान मंग जानना जानना