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घातास स्थान दर्शन
( २२५ । कोष्टक नं०३०
अग्निकायिक जीवों में
. इन्द्रिय जाति ले गुण में
रले गुगण में एकेन्द्रिय जाति
१ एकेन्द्रिय जाति १ले गुग में
ले गुग्ग. मे
१ १ मम्निकाय जानना
प्रग्निक य । योग
१ मंग १योग __ का नं० २१ दवा १ले गुण- में
मौत कायपोग १ और १-२ के भंगों में से | १२के भंगों में १० काययोग जानना
कार्माण काययोग ये(२) कोई मंग से कोई योग को० नं. १७ में देखो
१-२ के मंग
जानना जानना
को नं०१ देखो १० वेद १ले गूगा में
१ने रण में १ नपुंसक वेद
१ नमक वे ११ कयाय ३
सारे भंग भंग ।।
सारेभंग भंग को० नं. २१ देखो ले गुग में
3-८-के भंग |--के अंगों न गरम में पर्याप्तबन जानता पतिवत् मानना २३ का भंगो .नं. १७ के को.नं.१ देखो में से कोई भंग २३ का भंग पावत्
समान जानना १२ ज्ञान
१ भंग १ले गुग में २ का भंग २ केभंग में
से ले रण में २ का भंग पर्याप्नवत जानना २का भंग को नं. १७ के
कोई जान का भंग पर्याभवन् । समान जानना १३ संगम ले गुग में
ले गण - में
१सयम १४ दर्शन ले गुग में
नि गुगण में १ मचा दान
१ वचन दर्शन १५ लण्या
| सच्या
१ भंग १लेल्या अशुभ लेश्या | ३ वा भंग को नं०१७के का भग के भंग में
मे ले में
का भंग | कोई एक लेश्या समान बानना | कोई लक्ष्या३ का भी गयान जानना'
जानना १मवस्या अवस्था
२ १अवस्या
प्रवस्था भव्य, भष्य ने गुगा में भव्य, प्रभा में से दो में से कोई ले गुण में दो में से कोई दोनों में से कोई २का भंग गो.नं.७के ! कोई, अयस्था | २ का मग पवित्
१ अवस्था मान जानना
कुमति, कृति