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चौंतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नम्बर ३२
वनस्पतिकायिक जीव में
4.स्थान सामान्य पालाप
पर्याप्त
मपर्याप्त जीव के नाना १जीन के एक समय में | समय में
| एक जीव के नाना एक जोर के एक
समय में समय में
नाना जीवों की अपेक्षा
नाना जीवों की अपेक्षा |
मिथ्यात्व गुण
मिथ्यात्व सासादन
- दोनों जानता
२ में से कोई है
३
१ समास
१मुरण स्थान २
मिथ्यात्व, सामादन] २जीव समास ४
को.नं.२१ देखो ३ पर्याप्ति ____ को० नं. २१ देखो ४ प्राण
को० नं. ५संजा
को ६ गति
अंग
नं० २१
१ समास १ समास
१समास को.नं. २१ के समान दो में से कोई १ लादो में से कोई १ को. के समान को० नं। २१ देखो कोन २१ देखो | १ भंग
भंग को० नं० २१ के समान ।
४ का भंग कोः नं० २१ के समान
| ३ का मंग
का भंग मंग १ भंग ।
१ मंग को नं० २१ के समान ४ का भंग ४ का भंग को० नं० २१ के समान : ३ का भंग ३ का मंग
भग
१भंग को० नं.२१के समान ४ का मंग ४ का भंग
को नं०२१ के समान | ४ का भंग ले गुगण. में
ले रे गा में । १ तिथंच गति जानना
१तिर्वच गति जानना : १ले गृण में
१ले रे गुप में एकन्द्रिय जानि
१एकेन्द्रिय जाति १ले गुरण में
ले रे गुरण में । १ वनस्पति काय
१ वनस्पति काय
भंग , मंग १ने गुग में
को.नं.१के समान प्रो० काययोग जानना
को नं०१ देखो नो.नं.२१ देखो १ते गुण. में
१ले २रे गुण में १ नपुसक वेद जानना
नपुंसक वेद जानना ।
७ इन्द्रिय जाति
.
८ काव
६ योग ___को० नं० २१ देखो १. वेद