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चौंतीस स्थान दर्शन
कोप्टक नं० २१
एकेन्द्रिय
१ भंग
५ संज्ञा १ भंग १ मंग
१ मंग को० नं. १ देना १ने चुग में
४ का भग । ४ का मंग
२रे गूगल में
४ का मंग । ४का रंग ४ का भंग को नं०१७ के ।
४ का भग पर्याप्तवत समान जानना ६ गति १ले गुग में
ले २रे गुगण में १ नियव गति
१तियंच गति ७ इन्द्रिय जाति १ १ले गुगण में
१ले २रे गुण में । १ एकेन्द्रिय जाति
| १ एकेन्द्रिय जाति । काय
१काय काय
। काय . । १ काय पृथ्वी, जल, अमि,
ले गुण. । पांचों में गे कोई पांचों में से कोई ले २२ नुस्य. में ५-३ के हरेक मंग | ५-३ में से कोई वायु, वनस्पति ये | ५ का भंच को० नं० १७ के | १ काय जानना | १ काय |५का भंग को० नं०१७ में से कोई १ काय काय स्थावर काय जानना | ६ के भंग में से त्रसकाय १ |
| के ६ के भंग में से बम- जानना घटाकर ५ का भंग जानना
काय १ घटाकर २ का । भंग जानना
रे गुण में ३ का अंग को० नं०१७ | के ४ के भंग में में सकायः १ घटाकर 5 का भंग :
जानना सूचना-मिध्याव और मासादन गुरण स्थान में मरने वाला जीम जिस गति, जिस इन्द्रिय, जिस | काय, जिस पायु में जाकर जन्म लेने वाला है उसी गति, इन्द्रिय काय, पायु का उदय अपर्याप्त अवस्था में प्रारम्भ हो जाता है ऐसा
जानना।