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१
चौंतीस स्थान दर्शन
१६ भव्यत्व
१७ सम्यक्त्व २ मिथ्यात्व, सामादन
१० संगी
१६ आहारक आहार महार
२० उपयोग
भव्य, अभव्य
२१ ध्यान
को० नं० २४ देखो
१
असंजी
२
२२ आसव
5
को० नं० २१ देखो
Y
मिथ्यात्व ५, मन इन्द्रिय विषय १ घटा
१ले चुनाव में २ का भग क० न० १७ के नमान जनना
१
१ गुर० में
१ मिथ्यात्व जलनः
१ले
गुग्ण
१ संत्री जानना
3 में
१
१ले गुगा में १ माहारक हो जानना
१ ले शु० में ४ का मंग को नं० १७ के
समान जानना
5
को० नं० २४ देखो
૪
प्रो
मिश्रकाय योग १ कार्मारण काययोग १ ये २
१ भंग [को० नं० २१ देखी
१
( १६७ ) कोष्टक नं० २५
१ मंग ४ का मंग
१ भंग को० नं० २४ देखो
सारे भंग
१ अवस्था २ में से कोई
१ अवस्था
१
१ उपयोग ८ के भंग में से कोई १ उपयोग
१ ध्यान को० नं० २४ देखो १ मंग
२
२-१ के भंग
गुर २ का भंग
के समान
मं नं० १७
मे
१ भव्य ही जानना
२
१३ गु० में १ मिथ्यात्व जानना २० में
१ मासदिन जानना १ले मेरे गुर १ में १ असजी जानना
२
१-१ के भंग १ले २रे गुगा० में को० नं० २२ देखी
5
को० नं० २४ देसो
असंज्ञी पंचेन्द्रिय
とき
म० काययोग १. अनुभय वचनयोग १
१ भग १ अवस्था २-१ के मंग में से २-१ के मंत्रों में कोई १ भंग जानना से कोई
अवस्था जानना
१ भंग १-१ के भंगों में से कोई १ भंग
१
१ मंग को० नं० २४ देखो ४-३-४ के भंगों में से कोई १ भंग
दोनों जानना
१ संग को० नं० २४ देखो
सारे भंग
'
१ सम्यक्त्व दोनों में से कोई १ सम्यवर
जानना
१
१ यवस्था
दो में से कोई
१ अवस्था
१ उपयोग ४-३-४ केमंगों में से कोई १, उपयोग
जानना
१ ध्यान को० नं० २४ देखो १ मंग