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चौंतोस स्थान दर्शन
कोटक नं.२३
त्रीन्द्रिय
१६ भब्यत्व
मव्य, ममध्य
१ मंग दो में से कोई प्रवस्था जाना
के भंगों में । से कोई १ ।
ले मुगा. में २ का भंग को.१५ के
समान जानना
१ भंग १ अवस्था २-7 के अंगों में में २-१ के भंगों में कोई १ भंगकोई ? अवस्था
१- के भंग
१ने रण में २ का भग पवन
२. गुगण में १ भश्ची जानना
१७ मम्यक्त्व
मिथ्यात्र, सामादर
ले गुगण में मिथ्म व जानना
भंग
सम्यक्त्व |"-, के भगों में में १-१ के भंगों में ! कोई भंग '
। सम्यक्त्व
१- के भंग
ले गुण. में १ मिथ्यान्व जानना
रे गा में १ मासादन जान ।
ने गाव १ असंजो
१-मंजी
१ने गूग. में १ असं जी जानना
रमजी
१६ प्रहारक
पाहारक, अनाहार
ले गुण में दयाहारक जानना
१अवस्था | दोनों में से कोई
१अवस्था
- के भंग । दोनों जानना ने २रे गगग में १ विग्रह गति में मना.
हारक जानना २पाहार पर्याप्ति के समय प्रादारत जानना
भंग ३ का भंग । ३ के भग लेर गुण में का भंग पर्य भवन
२० उपयोग को नं. २२ देखा। ने गुगण में | ? का भंग
2 का भंग को. नं०१७के !
समान जानना
। उपयोग
के भंग गे मे कोई उपमं
ग
। उपोग ३के भंगों में से कोई उपयोग
२१ ध्यान
को. नं. ७ देखो
१ भंग का भंग
|
१न गुरग में का भंग को० नं.१० के ममान जानना
के भंगों में ले रे गुगा में में को.१ ध्यान। - का भंग पर्ववत् जानना
| = का भंग ।
१ ध्यान के अंगों में से कोई ध्यान