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१
चौंतीस स्थान दर्शन
२२ अधिव
को० ० के मं मे
२
२३ भाव
४१
२५ के ४० अविरत
की जगह जोड़कर (हिर का आरन्द्रिय
जोड़कर)
४१ जानना
ど
को० नं० २१ देखो
१६
ना
काययोग १
औ० मिश्र काययोग १
ये २ घटाकर (३६)
नगुमा में
३ का भंग को० नं० १७ के समान
.
( १८५ ) कोष्टक नं० २३
सारे मंग
में
१ ले गुण ०
११ से १८ तक के
भंग जानना [को० नं० १८ देखो
૪
१ भंग
१ ले गुण ० में
१७ का मंग
२४ का भंग को० नं० १७ को० नं० १८ के समान जानना समान जानना
५
१ भंग
११ मे १८ तक सारे भंगों में मे कोई १ मंग
१ भंग
१७ के गंगों में से कोई १ भंग
जानना
३८
प्रो० काययोग १ अनुभव वचनयोग १ ये २ घटाकर (३६) १ ले गुण ० में ३६ का मंग
पर्यावद जानना 注 में गुण०
३४ का मंग को० नं०
१७ के समान जानना
૪
१ गुण० में २४ का मंग को० नं० १७ के समान जानना
२३. गुण० में २२ का मंग को० नं० १७ के सुजिब जानना
सारे भंग
० में
१ले मुल० ११ से १८ तक के भंग जानना
२५ गु० में
१० से १७ तक
के भंग जानना
श्रीन्द्रिय
१ भंग १७ का भंग
१६ का भंग को० नं० १८ देखी
१ मंग
११ से १८ तक | के मंगों में से कोई १ भंग
१० से १७ तक
के गंगों में से
कोई १ भंग जानना
१ मंग
| १७ के संग में कोई १ मंग
"
जानना
१६ के मंग में से कोई १ मंग
|
जानना