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अवगाहना-लाध्य पर्याप्तक जीव की उपन्य अवगाहना मागुरु के असंख्यातदे भाग पोर उत्कृष्ट अवगाहना पिपोलिका (चींटी) ३ कोस तक
जानना बध प्रकृतियां १०-१००, को नं०२१ के समान जानना। उदय प्रकृतियां-१ को.न. २२ के समान जानना, परन्तु १ प्रतियों में मे ढोन्दिप जाति घटाकर त्रीन्द्रिय जाति १ जोड़कर -१ की उदय
जानना । सत्व प्रकृतियां-१९५-१४३ को नं. २२ में समान हाना । संस्था-प्रसंख्यान लोक प्रमाण जानना । क्षेत्र-लोक का असंख्यातवां भाग प्रमाण जानना । स्पर्शन--नाना जीवों को अपेक्षा मारणांतिक समुद्घात और विग्रह गति में सर्व लोक जानना, एक जीव को अपेक्षा लोक का मसंख्यावा भाम
प्रमाण जानना। काप-बाना जीवो की अपेक्षा सर्वकाल जानना, एक जीव की अपेक्षा क्षुद्रभव से संस्पात हजार वर्ष तक मरकर निरन्तर पीन्द्रिय बन
सकता है। अन्तर-नाना जीवों की अपेक्षा कोई अन्तर नहीं एक जीव की अपेक्षा क्षुद्रभव से मसंख्यात पुद्गल परावर्तन काल तक यदि मोक्ष नहीं हो तो
इसके बाद त्रीन्द्रियों में ही जन्म लेना पड़ता है। नाति (योनि)-२ लाख योनि जानना। फुल-८ लाख कोटि कुल जानना ।