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चौतीस स्थान दर्शन
देव मति
कोष्टक नं. ६ ४ । ।
!
।
१ भंग
१ दर्शन
२ का मंग
१४ दर्शन
अचन दर्शन, ! २-३ के भंग पक्षु दर्शन, अधि, । १ले २रे गुग्गल में दर्शन ये (३) | २ का भंग अचन दर्शन,
। दर्शन ये दर्शन जानना
३२ ये गुण में ३ का भंग मचल द०, चनु दर अवधि दर्शन ये ३ ददान ।
जानना
| २के संग में मे कोई १ दर्शन जानना
३ का भंग
।
के मंग में में कोई १ दर्शन जानना
१दन ।
१ भंग २-२-३-4 के मंग के भंग में में (१) भवनत्रिक में । कोई १ दर्शन | लेने गुरण में २ का भंग : जानना
२का भंग के भंग में मे' पकः बन जानना । कोई १ दर्शन | (२) स्वर्ग में नव- . । जानना बेयक तक के दंवों में । २रे गुग में
२का मंग २का मंग अचल द.. चाद, ये २ का भंग
ये गुग में ३ का भग '३ का भंग मामान्यवत् । नीनां ददान जानना
३)नव अदिन और पंचामृत्त तक के देवों में ,
गुगल में -2 का भंग सामान्यत्रत
। तीनों दर्जन जानना नया
३-३-१-के भंग
११) भवनजिक देशों में १ क भंग में में.गोगमा में
का भंग । कोई लत्या का भंग कृष्पगन्नीलजानना ' कापात य ३ अशुभ लेश्या |
जानना के भय में से. (२) कासवासी देवा में कोई १ व्या | श्ले २रे ४ गुणा में | का भंग जानना । का भंग नीन शुभ
का मंग
१५ लश्या
को० .१ देखो
१ का भा
३-१-१ के मंग (१) भवनाविक देवों में
१गे ४ गुग्म में १का मंग एक पीत नेच्या
का भंग जानना (2) कल्प बासी देबों में
१से ४ गुरण में ३ का मंग पीत-पय-शुक्त ये : मुभ लेश्या जानना
।३ केभंग में से ! कोई ? श्या
जानना
३ का भंग