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चौंतीस स्थान दर्शन
२३ भाव
३७
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उपशम क्षायिक क्षयोपशम सु०३, कुजान २, ज्ञान है, दर्शन लब्धि ५ देवगति १, कषाय ४, स्त्री-पुरुष वेद २ मा दर्शन १, लेग्या ६ असंयम १, अज्ञान १, अलि १. परिणामिक भाव ३ ये ३७ भाव जानना
३७
२५. २३-२४-२६-२७२५-०६-२६-२४-२२२६-२७-२५ के भंग
जानना (१) भवनविक देवों में १ ले गुण ० मं २५ का भंग कुशान, दर्शन २. नधि ५. देवगति १. कषाय ४. स्त्री-पुरुष वेद २, पौन नया है, मिश्रा दर्शन १, समयम अज्ञान असिद्धत्व १ परिणामिक भाव २५ का भंग
जानना २५ भं २३ का भग ऊपर के २५ मंग
१, भव्य १. वे शंकर २३ का भंग जानना
( १९६) कोष्टक नं० १६
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४
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सारे भंग अपने अपने स्थान के मारे संग जानन
१ भंग सारे भंगों में ने कोर्ड १ मंग
जानना
१ गुण में १७ का मंग को० नं० १८ देख परन्तु यहां नपुंसक लिंग छोड़कर स्त्री पुरुष उन दो वेदों में से कोई १ वेद जानना
रु गुण ० में १६ को भग [को० नं० १८ देखी परन्तु यहां भी स्त्रापुरुष इन दोनों में से
कोई १ वेद जानना |
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१७ के मंगों में कोई १ मंग जानना
१६ के भंगों में में कोई मंग
जानना
६
(३) नव अनूदि और पंचानन्तर विमान के देवों में
४थ गुप में ३३ का भंग ऊपर के नव वैयक के ३३ का भंग हो यहां जानना
३६
कुअवधि ज्ञान घटाकर
ॐध गुग मं ६ मे १६ तक के भंग को० नं० १८ देखो सारे भंग
अपने अपने स्थान के (३६) सारे भंग जानना
२६-२४-०-२६-२४२८-२३-२१-०६-२६ के भं
(१) भवनत्रिक देवों में १ले गुड़ में २६ का मंग पर्यास के
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देव गति
१मे To में गुण ० १७ का भग
२५ के मंग में से कुअवधि पर्याप्तवत् जानना शान पीन लेखा
टा बार और अशुभ दया
३ जोड़कर २६ का भंग जाननः
२. गुगा में ४ का भंग के २३ के भंग में से कुल ज्ञान १, पीत मश्या १ व २ घटा कर और अशुभ लेश्या जोड़कर २० का भग ४ये गुगास्थान में यहाँ
गुगा में १६ का भंग पर्याप्तवतु जानना
८
६ मे १६ तक के भंगों में से कोई १ मंग
१ रंग सारे अंगों में से कोई १ मंग जानना
१७ के भंगों में से कोई १ मंग जानना
A
१६ के मंत्रों में से कोई १ मंग जानना
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