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चौतीस स्थान दर्शन
कोप्टक नम्बर १६
देव गति
2 ४ गुगण में ३रे ४५ मुगार में में १६ नक के मिथ्यात्व घटाकर ३ का ४१ का भंग ऊपर के 42म १६ तक के भग मंगों में से कोई भंग जानना के भंग में मे अनन्ता बंधी को० न०१८ देखी १ भंग जानना व गुरप० में ४ये मुरण में से १६ तक के कपाग ४ घटाकर ४१ का ।
२३ का भंग ऊपर के स १६ तक के भंग भंगों में से कोई भंग जानना
३८ के भंग में में अनन्ता-को.नं०१८ देखो १ भंग जानना (२) नवग्न वेयक के देवों में ।
नुबंधी कवाय ४, पत्री ले गुण में
ले गृण में ११ में १८ क वेद १, ये ५ घटाकर ४९ का भग ऊपर के ५० ११ मे १८ तक के के नंगों में मे ३३ का भंग जानना "के भंग में में स्त्री बेद १ घटा | भंग को नं०१८ कोई १ भंग मूवमा-यह ३३ का कर ४६ का भंग जानना देखो
भंग भवनत्रिक देवों में | रे गृगा. में | रे गुएरा में १० मे १७ तक नहीं होता
४४ का भंग ऊपर के ४५ १० से १७ तक के के अंगों में से (२) नवर्य येयक के देवा । के भंग में से स्त्री देद १ पटा- भंग को नं०१८ कोई भंग । में । कर ४४ का भंग जानना ! देखो
ने गुण में । १ले गुण में ११ से १८ तक रे ४थे गुण में रे ये रण मे १ से १६ तक के ४२ का भंग ऊपर के ११ से १८ तक के | के अंगों में से
४. का भंग ऊपर के ४१ ६ से १६.क के भंगों में से कोई । ४३ के भंगों में से स्त्री भंग को नं०१८ कोई १ मंग .के भंग में से स्त्री बेद १ घटाकर' भंग को. नं०१८ १ भग जानना | वेद १ घटाकर ४२ का: देखो जानना . ४० का मंग जानना
देखो
भंग जानना (2) नव अनुदिश और पंचा- |
रेगुण में
रे गुण में १० से १७ तक नुत्तर विमान के देवों में
| ३७ का मंग ऊपर के १० से १७ तक के के मंगों में से ४थे सुगम में ४ये गुण में
३८ के भंग में से स्त्री ! भंग को नं०१५ कोई १ भंग ४० का भग ऊपर के नव | ६ से १६ तक के
वेद १ घटाकर ३७ का देखो ! जानना ग्रं देयक के ४० का भंग ही यहां- मंग को० नं. १%
भंग जानना जानना
थे गुण में
ये मुरण में ' से १६ तक के ३३ का भंग ऊपर के ।। से १६ तक के भंग भंगों में से कोई ३३ का भंग ही (१६वे को न०१८ देखो' १ भंग जानना स्वर्ग तक के ४ये गुण स्थान के ३३ का भंग) यहाँ ।
जानना
देशो
।