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१६ भव्यत्व
१७ सम्यक्त्व
I
चौतीस स्थान दर्शन
३
२
अव्य, प्रभव्य
को० न० १ देखो
(3)
१ मे ४ गुण० में
? शुकन लेख्या जानना
(2) नत्र अनुदिन और पंचानुतः विमान के देवों में ४] गु० में
१ शुक्ल लेन्या जानना
मे
२
२-१ के भंग १ गुण० में
२ का मंग भव्य प्रभव्य मे
२ जानगा ३४ गुगा ०
0 में
१-१-१-२-३-२ के भंग (१) भवनत्रिक देयों में नवयक तक के देवों में १ले गर० में
१ मिथ्यात्व जानना => गुणा ० मैं
१ 'मामादन जानना गुरण०
में
१ मिश्र जानना
(२) भवनत्रिक देवों में
ये गु० में २ का भंग उपशम. क्षयोपलम
t १६१ 1
कोष्टक नं० १६
१ बल नेपा
१ शुक्ल
१ मंग
२ का भंग
१ भव्य जानना
सारे नंग
१ मिथ्यास्त्र
१ सामान
? मित्र
२ का मंग
नया जानना
जानना
१ शुक्ल लेग्या । ( ३ ) नव वेयक देवों में १४ गु० में १ शुक्ल लेप्या जानना (२) नवमनुदिश और पंचानुत्तर विज्ञान के देवों में ४६ गुण में १ शुक्ल लिया जानना
२
१ शुक्रवा जानना
१ अवस्था
दो में से कोई
अवस्था
१ भव्य जानना
१ सम्यवत्त्र
i
१ मिध्यात्व
१ सासादन
१ मिश्र
1
६
में से कोई १, मंग जानना
२-१ के मंग एले गुगा में २ का मंग पर्याव जानना ०४ मु में
१ भब्य जानना
५.
मिश्र घटाक (५) १३ मंग (१) भवनत्रिदेवों नवकनकः के देवों में १० मे १ मिध्यान्य २६ गुरख० मे ? स भादन
(२) १ ले स्वर्ग मे सर्वार्थ
निद्धि तक के देवों में ४ये गुरप० मैं ३ का अंग उपगम (द्वितीयोपशम)
İ
देव गति
१ शुक्ल लेपपा
? गुवल लेक्यन १ मंग
२ का मंग
१ भव्य जानना
नारे गंग
१ मिध्यान्न
१ समदन
का मंग
१ ला
१ शुक्ल लेण्या जानना | १ अवस्था दो में से कोई ? अवस्था
१ भव्य जानना
१ सम्यकन्य
१ मिथ्यात्व
समान
7
!के में से कोई १ रूम्यक्त्व जनना