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चतीम स्थान दर्शन
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१६ । (१) साध्यान ४, (sre वियोग, अनिष्ट संयोग. वेदना जनित, निदावज)
(२) रोड म्यान ४ हिसानंदानंद चौर्यानंद, परिषहानंद) (३) धर्म ध्यान ४, (शाविषय पायविचय, दिपा रुविचय, संस्थानविचय) (४) शुक्ल ध्यान ४, ( पृथक्त्व दितकं विचार एक वितर्फ अविचार, सूक्ष्मक्रिया प्रतिपाति, नितिन ये १६ जानना
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B
युगात जालना
(२) भांग भूमि मे १२
५. का मंग ॐ० मे ६ का भंग बंध गुगा म
७
६ का भग
मं
ऊपर के कर्म भूमि के
समान जानना
१६
(१) कर्म भूमि में १२ गुह में = का भग
प्रातध्यान ४. गैद्रयान ४, थे का भंग ज्ञानना ३५ गु० में का रंग ऊपर के के मंग में आज्ञा बि० धर्म ध्यान जोड़कर है का भंग जानना
४ये गुण में १० का अग ऊपर के
२. के संग में अपायविचय धर्म ध्यान १ जोड़कर
१. का भंग जानना
( १३२ ) कोष्टक नं० १८
1
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मारे भंग ६-२-१०-११-७४-१-१-१अपने अपन स्थान | के मारे मंग
१-०६-१० के भंग
५ का भन
5. का भग
६ का भंग
जानना भंग
६ का भंग
१८ का भंग
1
५ के भंग में से कोर्ट १ उपयाग • के भग मे से का उपयोग
• के मंग म से. कोई ? उपयोग
१ ध्यान मारे भंगो में से कोई १ ध्यान जानना
- के मंग मे से कोई १ व्यान
जानना
के भंग फोर्ट १ ध्यान जनना
१० के मंग मे में कोई
ध्यान जानना
!
६ का भंग ऊपर के कर्म भूमि के
समान जानना
१२
प्रातं ध्यान ४, रौद्रध्यान ४, धर्मध्यान ३ (श्राज्ञावि० मपायवि ० विपाक विजय ये ३) शुक्ल ध्यान १ [सूक्ष्म किया प्रतिपति] १२ यान जानনা
रु ६-७ १६ के भंग जानना (१) कर्म भूमि मे
१ल मेरे मुसा में ८ का मंग विजानना ४भे में गुण ६ का भंग ऊपर के = के भग में प्राज्ञा वि०
धर्म ध्यान जोड़कर
का भंग जानना
1
मनुष्य गति
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मारे भग अपने अपने स्थान के मारे भग जानना
८ का मंग
का भंग
उपयंग जाममा
१ मान अपने अपने स्थान के बारे मंगों में से कोई १ ध्यान जानना
गंगों में मे कोई १ ज्यान जानना
६ के गंग में से कोई ! ध्यान जा