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चौतीस स्थान दर्शन
सूचना –निर्यच गति में बंध हो चुकी हो। बताया गया है
२
१८ मंत्री मज्ञी समंशा
4
एल
गुण० मे
४थे श्वगुगा० म
२ का भंग उपशम और
| क्षयोपशम सम्यक्त्व
२
40
नासादन मे १ मिश्र
जानना
(२) भोग भूमि मे
मे १ मिथ्यात्व
० मे १ मासादन मिथ
To में
गु
गुगा
दरे
गुरण
० गु० में
३ का भंग उपक्रम, भाविक क्षयोपगम सम्पनत्व ये ३ का भंग जानना
२
(१) कर्म भूमि में १ गुण में १ का मंग एकेन्द्रिय से प्रसंज्ञी पचेन्द्रिय तक के सब जीव प्रजी जानना १ का भंग संजी पंचेन्द्रिय
I
के सब जीव संत्री ही रहते हैं
२ से पूर्व गुरण में
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( १०१ }
कोष्टक नं० १७
? मागदन १ मिश्र
ये ५० गुगा म
२ का मय
१ मिध्यान्न १ सासादन
१ मिश्र
मं ३ भंग
糖 मुरम ०
१ भंग
नया क्षायिक सम्यक्च नहीं हो सकता है। परन्तु मनुष्य गति में तो क्षायिक सम्यक्त्वमसिर करके भोगभूमि में निर्यच बन (देखो गो० क० गर० ५५० ) ।
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| १ले गुगा में १-१ के भंग
से पूर्व गुण
१ मासादन १ मिश्र २ के रंग में में कोई १
सम्ययन्व
ㄨ
१ मिथ्यात्व
१ सासादन १ मि
३ के भंग में १
सम्यक्त्व जानना
१ अवस्था
१-१ के भंगों में से कोई १ मंग जानना
१ गुगा में १ मिध्यात्व गुग्ग० में १ सामादन
- यहा नहीं होता (२) भांग भूमि में रेले गुण मे १ मिथ्यात्व २० में सासादन | ४ गुग्म में
1
२ का भंग भायिक और योपदमिक सम्यस्वये २ का भंग जानना
1
१-१-१-१-१-१ के भंग (१) कर्म भूमि में १ल गुसा० में १-१ के भंग पर्याप्तवन् २. गुगा 10 में
१ का भंग पर्याव
| १-१ के भंग पहले गुगा के एकेन्द्रिय मे संजी पंचेन्द्रिय तक के
|
:
तिर्वच गति
|
3
१ मिध्यात्व
१ मासादन
१ मिथ्यात्व
१ मासाइन
उ
● में २ का भंग
गु
जिस जी के क्षायिक सम्यक्त्व
सकता है । इस अपेक्षा से नियंत्र गति में भी क्षायिक सम्यक्त्
T
१ भंग
१ ले गुण में १-१ के अंगों में से
कोई १ भंग
१ मिथ्याव
१ सामावन
२रे गुगा में १-१-१ गंगी में से कोर्ट १ भंग
जानना
१ मिथ्यात्व
१ सासादन २ में में कोई
१ सम्यक्त्व जानना
उत्पन्न होने के पहले तियं चायु
१ अवस्था
१-१ के भंगों में से कोई १ अवस्था जानना में से कोई १ १-१-१ के गंगों अवस्था जानन