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चौंतोस स्थान दर्शन
कोष्टक नं० १७
तिथंच गति
१.२ मूगा में
का भंग
३ का भग
जानना
....४ गुग में
का मंग |
३ का भग जानना
(१) कर्म भूमि में
2 घटाकर गंग | मे ५ गुग में म५ नग्न मे का मग ३-2 के भंग का मंग मंजी पं. का भग
(१) कर्म भूमि में ' जोन में गामान्यवन
नरेगा में जानना
का भग-माहार, पारोर म १ल गण में । ५४ के अंगों ' इन्द्रिय पर्याप्ति के 2 का अंग का भंग द्विन्द्रिय से ५-४ के भंग में । में में को।
जानना अमजी पंगन्टिय तक के में कोई भंग नं -ग जामन () भोग भूमि में नीचों में एक मनपर्यामि जानना
...४ मुगा में पटाका ५ बा भंग
बा भग उपर नि
. . अनुसार जानना । जानना
मुचना-लब्धिमा पपन अपरं. का भंग-कप्रिय
मचं स्थानों में पर्याम जाणे म मन और भाषा
अवस्था वे ममान मर्च पाहिये पटावर
पमियां होती हैं। . का भन जानना
() भंग भूमि में । १ से ४ गरा में म४ गुगण में का भंग । का भग भामान्यवत का भंग | जानना जानना
भंग । १ भंग १०----5-६-४-१०
मनोबल, बचन बल, व्यामो के भंग
शाम प्रामा, ये घटा र. 1)सम भूमि में
१ से १ गुण म्यानों में ५ बाग में हरेक में १० -5-1-1-1-1.3 के मंग में. क. मग हक में का का भंग (2) नम भूमि में । संझी पदिय जावों में भंग जानना जानना
ने मुग्न में मामान्पा जानना
का भंग मंजी गुगण में ले गगा में 2-1-3-६-४
के न्द्रिम जीवों में
४ भाग १७
कोनं०१ देख
भंग
: भंग
१ले रे गुगण में ! 3-3-६-५-४-३ 3-3-६-५-४-३ के भंग में में के नंगों में में कार कोई मंग