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चौतीस स्थान दर्शन
कोष्टक नम्बर १७
तिथंच गति
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मे गग्ग में का भंग ऊपर के गजी । पंचेन्द्रिय जीवों के मूजिक जानना ६ मंग , बंद
१ मंय १ बंद को नं १ दखौ -३-१-३-२ के भंग
३-१-३-१-३-२-१ के मंग : (१) कर्म भूमि में
(१) कर्म भूमि में १५ गुरण में से ५ गुग में। भंगो
म ले गुगा में
व नगग में ३-१ अंगों में में ३ का भंग मंत्री पं० ३ का भंग में कोई बंद ३-, के भंग पर्याप्तवन जानना' -१ के भंगों में में कोई १ वेद निर्वच के वेद जानना
। जानना
रेगुण में
कोई १ भंग जानना जानना श्ले गुण में रेल गुरण में ३ का भंग संजो पं० तिर्यच के , २रे मुरण में ३-१-३ के अंगों १ का नंग एकेन्द्रिय स | १-३ के अंगों में '१-: के भंगों :नों वेद वानना ३-१-३ के मं में में से कोई चतुरिन्द्रिय नक के नियंच से कोई १ भग में गे कोई का भंग एकेन्द्रिय में चतु- से कोई १ भंग वेद जानना के नपुसक वेद १ जानना जानना। वेद जानना रिन्द्रिय तक के जीवों में जन्म ,
जानना ३ का मंग मसजी पं०
___ का लने अपेक्षा जीवों में ३ बंद जानना
| का सग अमजी पं० जीवों में : (२) भोग भूमि में
जन्म लेने की अपेक्षा तीनों वेद में गुण म : १४ गुण में! कभंग में से
जानना २ का भंग संज्ञो पं० । २ का भंग | कोई १ वेद ४था गुरग यहां नहीं होता। तिर्यंच के स्त्री. पुरुष
(२) योग भूमि में ये २ वेद जानना
१ले रे गुगा स्थान में -२ गुण में२ का | २ के भंग में से ।२का भंग म्त्री, पुन्य व र बेद भंग | कोई वेद
जानना
४ये गुग में
१का एक पुरुष पद जानना ११ कदाय ५ सार भन . १ भंग
भंग नु रुष वेद -- को.नं. १ देखो | २५-२३-२५-२५-२१
२५-२३-२५-२५-२३-२५- | १७-२४-२० के भंग
२४-१६ के भंग (१) कर्म भूमि में
(१) कर्म भूमि में
. जानना
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जानना