________________
चोतोम स्थान दर्शन
काप्टक नं० १६
नरक गति में
नंग
के भंन में गे परन्त नबंधी भंग-को० कोई भंग काय ४ घटाकर ४०. देखो । जानका भंग जानना मारे ग १ भंग ।
मारे मंग १ भंग उपगम-शामित्र
उपमम मम्यपत्र १, सम्यकत्र २. ।
मनधिनान १ कृवान ६. ज्ञान , (१) ले ना में
ल गुगा: में ! भंगों में चे २ घणकर (१) वन, लयि , । २६ का भग
?: का भंग-2 में कोई भंग । २५-२५ के भंग क्षयांगनम सम्यक्त्व : जान ३, दर्शन २, देखो जानना । (१) ले गुग में ले गुगाल में ? के भंवों में नरक गनि १. कषाय४, लब्धि ५, नरक गति १ ।
' को नं. १८ । २५ का अंग-पर्याप्न के १० का भंग मे कोई १ मंग नपुसक लिग १ बपाय ४, नपु'मक लिंग,
देखो २८ के भंग में से कौन०१८ देखी । को० नं० १८ प्रमुभ लश्या, अनुलेन्पा :, मिथ्या
। कुअवधि जान घटाकर मिथ्यादर्शन १, दन १, नयम १,
=". का अंग हानना अमयम । अज्ञान है । मजान १, अमिय,
। (२ ४थे गुगा. में
थे गगाल में के मंगों में प्रसिदत्व १, पारिन् । पारिवामिक भाव :
२७ का भंग
१७ का भंग ।मे कोई भंग रगामिन भाव ३ ।। ये २६ का भंग जानना
पर्याप्न के २० केभंग को००१ यो नं. १ ये भाव जानना । (२) २ गगात में
रेगुग में के भंगों में में से उपक्षम सम्बवत्व २४ क भग-कार के , १६ का भग-जोल ने कोई १ भंग। घटाकर २५ का भम ।
भंग में म मिय्यादर्शन नं. १६ देखा । जानना जानता १. अभयान १, ये
| पोरनं०१८ घटाकर २४ का भंग ।
। देखी । पनाः यह २७ ग जामना
भग थे मुगः म्थान में . १३) रे गुगण में
३रे मुग्गर |१६ के भंगों में मर कर ने नरक में 2. का भग-ऊपर के ४ १६का भंग !मे कोई भंग | पाने वाले जीवों के लिये। के भंग में अववि दर्शन , को० नं०१८ देखो। जानना जानना जोड़कर २५ का भंग
! को० नं १८ जानना
देखो (४) ये नूगा में । वे रण में के भंग में १ले नरक में
१८ का भंग कोई १ भंग ।
जानना
! सो