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आत्मविलास] है, उन सकुचित चित्ताद्वारा जानीय बार में मात्र हो सकता है ? जातीय सुधार लिय गो नमानाचा होना आवश्यक है, जितना नागरी अंगामासाना नाहिय। ___ अत्मविकास अब चौथी मार्ग पगा 'पौर जाना चतुर्थश्रेणी, 'मनुष्य स्वार्थ पर निर्भर न करे अब देश पदवाच्य मनुष्य' कावार्य ही उसका अपना न्याय होगा। अर्थात् देशभक्त अभाव सानिक दर निगन रहकर तीन गतिसे आगे बढा और देगा माथ मन्यन्य पा गया। अब यह देशकी निमे हुयी व दंग लाममे सुखी होने लगा और इस प्रकार देशम मानपान होगया । पुरुषोंमें उदारता मलकने लग पड़ती है और उनका द्वंपभाव लुप्तप्राय हो जाता है। मसारमे उनका व्यक्तिगत, गुम्यान
और जातिगत कुछ भी स्वार्थ न रहकर कमात्र देशकी उमति व भलाई हो लक्ष्य रह जाता है। उनका ग्यान-पान, चाल-चलन, रहन-सहन, वल्कि शारीरिक स्थिति भी केवल देशके लिय ही होती है, अपने लिये नहीं। ऐसे महापुरुप वानवमे धन्यवाद के पात्र है, जिनका 'मपन' साढे तीन हाथके टापुमं घिरान रहकर व्यापक देश ही जिनका अपना शरीर बन गया है। ऐसे ही सन्ननोंके द्वारा देशका कल्याण सम्पादन होता है। परन्तु जहाँ अन्य देशोके साथ उनके देशसम्बन्धी स्वार्थकी टक्कर होती है, वहाँ वे अन्य देशोंके साथ द्वेप भी ठानते हैं और प्राय ऐसे अवसर भो पाते है कि अपने देशके लिये रक्त की नदियाँ बहाई जाती है और पृथ्वीतल रक्तसे सिंचन किया
ऐसे पुरुपोंकी गति अव छकडेके समान न रहकर मोटरगाडीकी समताको प्राप्त होगई। जिस प्रकार मोटर वडी तीव्र गतिसे दौड़ती है और सैकड़ो मीलोका रास्ता घंटों में काट लेती है, परन्तु चलवी है सड़कके अनुसार ही, जिधरको सड़क