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[ साधारण धर्म सच कहा है-प्रेममें नियम नहीं सारांश, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड मे ऐसा कौन प्राणी है, जिसको तूने बाजीगरके वन्दरकी भॉति न नचाया हो । मुर्दे भी तेरे नामपर फड़क उठते हैं, सचमुच तू एक ऐसा ही अद्भुत पदार्थ है, जिसपर तीनों लोक वारकर फैंक दिये जाएँ। 'किस किस अदासे तूने, जन्चो दिखाके मारा ।
आजाद हो चले थे, बन्दा बनाके मारा ॥१॥ खुद बोल उठा अनन्हक, खुद बनके शरह तूने। एक मर्दे हकको नाहक, सूली चढ़ाके मारा ॥२॥ क्यों कोहकन पे तूने, यह संगरेजिया की । ली उसकी जाने शीरीं, तेशा उठाके मारा ॥३॥ गर्दनमें कुमरियोंके, उल्फतका तोक डाला। बुलबुलको प्यारे! तूने,गुल बनके खुद ही मारा ॥४॥
आखोंमें तेरे जालिम ! छुरियाँ छुपी हुई हैं। देखा जिधरको तूने, पलकें उठाके मारा ॥५॥
गुञ्चेमें आके महका, बुलवुलमें जाके चहका । . . . इसको हँसाके मारा उसको रूलाके मारा ॥६॥
2. चमत्कार । २. शिवोऽहं, मैं ग्रह हूँ । ३. धार्मिक कानून । . सच्चा। ५. फाहाद, नाम है ६. पापाण-वृष्टि । ७. मीठी, फरहाद की प्रियाका नाम भी है। 6. कुल्हाड़ा । ९, पक्षो निशेष । १..प्रेम । ३१. बेड़ी । १९ पुष्पाली।