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I am glad to note that you will bring out a commemorative volume. I am sure this will be a rich source of spiritual knowledge with Articles from learned scholars. I wish the publication of the commemorative Volume all success. Thanking You,
Yours sincerely
Veerendra Heggade
संस्कृति संरक्षक
दिगम्बर मुनि परम्परा अनादिकाल से चली आ रही है और इस परम्परा पर आसीन होकर अनेकानेक आत्माओं ने स्वकल्याण कर मोक्ष को प्राप्त किया है। आज भी भारतवर्ष में इस परम्परा के पथ पर चलने वाले अनेक मुनि, आचार्य, क्षुल्लक एवं क्षुल्लिकाएं विद्यमान हैं जिन्होंने भारत-भूमि को महान योगदान दिया है एवं इस देश की महान संस्कृति की रक्षा में अपना अनन्य सहयोग दिया है।
श्री शान्तिसागर छाणी ने निर्ग्रन्थ मुनि धर्म को ग्रहण कर इस परम्परा की कड़ी को महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। वे अत्यन्त ही सरल स्वभावी थे। उनके जीवन का अध्ययन कर भावी-पीढ़ी अपना जीवन उज्जवल करेगी। ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है। मैं आचार्य श्री के चरणों में अपनी भाव-भीनी श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ।
निर्मलकुमार जैन सेठी अध्यक्ष अ.भा.दि. जैन महासभा
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प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
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