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45454545454545454545454545455 क्षुल्लक दीक्षा
बांसवाडा जिले में परतापपुर के पास गढ़ी एक कस्बा है यहां हुमड़ जाति के अच्छे घर हैं. जिन मंदिर है, जब ब्र. केवलदास गढ़ी आये वह समय सन 1922 विक्रम संवत् 1979 का था। यहां पर श्री कस्तूरचंदजी ने ढाई द्वीप
का मांडला मंडवाकर बड़े ठाटबाट से पूजन करवाई, यहां पर आसपास के 51 रहने वाले बहुत से जैनी भाई आये, बड़ी धूमधाम से धर्म प्रभावना हुई। एक
दिन रात्रि को आपने पांच स्वप्न देखे । पहले स्वप्न में एक गाय दो आदमियों को दौड़कर मारती हुई देखी, आपने गाय को रस्सी से बांध दिया। दूसरे स्वप्न में बहुत सी जयमालायें सूतकी देखी, आपने उन जयमालाओं को सब आदमियों को जाप करने के लिये बांट दी। तीसरे स्वप्न में काष्ठ का कमण्डल देखा चौथा स्वप्न था जिसमें बहुत से आदमियों के साथ अपने को जिन मंदिर जाते हुए देखा। पांचवें स्वप्न में जिनेन्द्र भगवान के दर्शन किये । उक्त स्वप्न आपके भावी दिगम्बर मुनि बनने के संकेत दे रहे थे। आपने रात्रि के स्वप्न का हाल वहां के जैनी भाईयों से कहा, सब स्वप्न के हाल सुनकर प्रसन्न
हुए आपने सबसे कहा मैं आज ही क्षुल्लक बनना चाहता हूँ बस फिर क्या - था आपने अपने को पूर्ण रूप से क्षुल्लक पद के लिये तैयार कर लिया, कोई - दीक्षा देने वाले गुरू आसपास व दूर दूर तक नहीं थे तब आप ही अपने
गुरू बने और दिन के दो बजे बड़ी धूमधाम और गाने बाजे के साथ जुलूस TE के रूप में शहर से चलकर गांव के बाहर एक बगीचे में आ गये, उस समय
वहां बांसवाड़ा के सेठ बालचंदजी भी आ गये थे। बगीचे में वृक्ष की छाया में दीक्षा विधि की सब तैयारी कर रखी थी। आपने क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण से पूर्व खड़े होकर उस समय समस्त समाज से प्रार्थना की कि हम इस समय क्षुल्लक दीक्षा लेना चाहते हैं, कृपा कर समाज इस की स्वीकृति दीजिये। समाज के मन गदगद हो गये सबने दीक्षा की स्वीकृति दी। इससे पूर्व किसी + को दीक्षा लेते हुए देखा नहीं था अतः सब निर्मिमेष नेत्रों से आपको क्षुल्लक बनते देख रहे थे । एकाएक जयध्वनि आकाश में गूंज उठी। भगवान आदिनाथ के समक्ष आपने बहुत शीघ्र मस्तक व दाढ़ी के बाल उखाड़ कर केश लोंच कर दिया और ब्रह्मचर्यावस्था के धोती दुपट्टा उतारकर एक कोपीन और चादर
धारण कर आप पूर्णतः ग्यारह प्रतिमाधारी क्षुल्लक बन गये। अब आप 105 पश्री क्षुल्लक शान्तिसागर जी के नाम से श्रद्धास्पद बन गये।
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प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ FIELETELELEनानानाना-III
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