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EEEEEIFIFIFIFIFI भजनापिक
श्रवण वेलगोल के शिलालेख नं. 40 में "जैनेन्द्र निज शब्दमागमतुले" आदि श्लोक हैं यह जिनाभिषेक के प्रारम्भ का भागमात्र है और रचयिता पूज्यपाद थे।
कछ विद्वानों ने "सिद्धिप्रिय स्तोत्र" को, जिसमें 26 छन्द हैं और जो 24 तीर्थङ्करों की स्तुतिपरक हैं, आचार्य पूज्यपाद की रचना माना है। किन्तु भाषा और विषय की दृष्टि से यह स्तोत्र पूज्यपाद का नहीं हो सकता; क्योंकि असाधारण प्रतिभा के धनी आचार्य पूज्यपाद की भाषिक त्रुटियां असंभव है जो उसमें हैं। चिकित्साशास्त्र
शिमोगा जिले के शिलालेख में श्री पूज्यपाद स्वामी द्वारा रचित वैद्यक 1- ग्रन्थ का उल्लेख है। ग्रन्थ का वैद्यक नाम चिकित्सा सम्बन्धी सामग्री की सूचना देता है।
उपर्युक्त रचनाओं के अतिरिक्त श्री पूज्यपाद स्वामी द्वारा रचित कुछ अन्य रचनाओं का उल्लेख है। यथा-"पूज्यपाद चरित" में अर्हत्त प्रतिष्ठा लक्षण" आदि।
अध्यात्मवाद से अनुप्राणित व्यक्तित्व वाले पूज्यपाद महर्षि महान विभूति जथे। उनके कृतित्व से यह अवगत हुआ। उनकी रचनाएं ही उनका साकार
रूप हैं। जड शब्दों का समूह ही साहित्य नहीं है अपितु पूज्यपाद का जीवनदर्शन और उनकी साधना का प्रतिरूप है।
संदर्भ ग्रन्थ 41. आदिपुराण TE 2. जैनेन्द्र व्याकरण (श्रीनाथूरमाप्रेमी)
3. जैन सिद्धान्त भाग 1 4. सर्वार्थसिद्धि 5. पाण्डवपुराण (शुभचंद्राचार्य कृत)
6. शान्त्याष्टक TE 7. भारतीयविद्या भाग 3 अंक 5 (श्री सुखलाल संघवी) 18. जैन शिलोलख संग्रह प्रथम भाग
रीडर संस्कृत विभाग, दि. जैन कालेज, बड़ौत
डॉ. श्रेयांसकुमार जैन
प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
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