Book Title: Prashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Mahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali

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Page 584
________________ नानानानानानानानानानानानाना, 15151144HLEELELE महावीर के समय में जिस भारत-भूमि पर दया बरसती थी उसी भारत-भूमि + पर आज अहिंसा खोजे नहीं मिलती। आज बड़ी-बड़ी मशीनों के सामने रखकर ॥ एक-एक दिन में दस-दस लाख निरपराध पशु काटे जा रहे हैं। आप बंबई, । 45 कलकत्ता, मद्रास, दिल्ली कहीं भी चले जाइये सर्वत्र हिंसा का ताण्डव नृत्य 1 ही दिखाई देगा। आज इस दुनिया में ऐसा कोई दयालु वैज्ञानिक नहीं है, - जो जाकर के इन निरपराध पशुओं की करुण पुकार को सुन ले और उनके L: पीड़ित अस्तित्व को समझकर, आत्मा की आवाज पहचान कर इन कुकर्मों को रोकने का प्रयास करे। जिस भारत भूमि पर धर्मायतनों का निर्माण होता 51 था उसी भारत भूमि पर आज धड़ाधड़ सैंकड़ों हिंसायतनों का निर्माण हो रहा है। आज सौन्दर्य प्रसाधन सामग्री आप मुंह मांगे दाम देकर के खरीदते 51 हैं। नश्वर शरीर की सुंदरता बढ़ाने के लिये आज कितने जीवों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। खरगोश, चहे और बंदरों की हत्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आखिर यह सब क्यों हो रहा है? आपने कभी सोचा? यह 41 सब आपके अंदर बैठी हुई वासना की पूर्ति के लिये ही हो रहा है। कहाँ गई आपकी दया? जबकि दया शब्द स्वयं विलोम रूप से आपको शिक्षा दे रहा है कि आप अपना अपना जीवन जीते समय जो कोई भी कर्तव्य कर रहे हो उसको याद रखिये, किन्तु उसकी पुकार कौन सुनता है? कोई विरले 51 ही महापुरुष, कोई विरली ही आत्मायें। शाकाहर से मानव मेहनती एवं सहिष्णु बनता है। शाकाहारी पशु ताकतवर, सहिष्णु तथा चपल होते हैं। उदाहरणार्थ हाथी, घोड़ा, ऊँट आदि सभी प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट्स, स्निग्धता, लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस एवं जीवन सत्व इस संतुलित आहार से नियमित रूप से मिलते हैं। सोयाबीन व मूंगफली में मांस व अण्डे से अधिक प्रोटीन होता है। इंग्लैंड में परीक्षण करके देखा गया है कि स्वाभाविक मांसाहारी शिकारी कुत्तों को भी जब शाकाहार पर रखा गया तो उनकी बर्दाश्त शक्ति व क्षमता में किये गये अध्ययनों से यह पता चला है कि शाकाहारी न केवल स्वस्थ व निरोग रहते हैं अपितु दीर्घजीवी भी होते हैं व उनकी बुद्धि भी अपेक्षाकृत तेज होती है। शाकाहारी भोजन के गुणों को जानकर अब पाश्चात्य देशों में शाकाहार - - । SI UNIC 538 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ CELLETELEनाया -FIEEEFIFIFIFIFI

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