Book Title: Prashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Mahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali

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Page 595
________________ 卐5555555555555959 2. साधारण व्याख्याएँ 6-52 हिंसादि पाँच पापों एवं अहिंसाणुव्रतादि पाँच व्रतों के लक्षण। 3. दण्ड-शिक्षा के विषय में 53-75 प्रायश्चित्त विधि। 4. साधारण अपवाद 76-106 प्रमत्तयोग न होने से पाप का बन्ध नहीं होता। 5. प्रेरणा अथवा सहायता 107-120 पाँच अणुव्रत एवं उनके करने के विषय में अतिचार। 6. राज्य-विरुद्ध अपराधों के 121-130 विरुद्धराज्यातिक्रम त्याग। विषय में 7. सेना सम्बन्धी अपराधों के 131-140 विरुद्धराज्यातिक्रम त्याग। विषय में 18. सार्वजनिक शान्ति के / 141-160 अहिंसाणुव्रत एवं उसके पाँच विरुद्ध अपराधों के विषय में अतिचार। 19. राज्य कर्मचारियों द्वारा या 161-171 असत्य के अतिचार एवं उनसे सम्बन्धित अपराधों के अचौर्य तथा उसके अतिचार। विषय में 10. राज्य-कर्मचारियों के 172-190 विरुद्धराज्यातिक्रम प्राधिकार की अवमानना अतिचार का त्याग। के विषय में 74 11. झूठी गवाही और 191-229 असत्य, मिथ्योपदेश.. सार्वजनिक न्याय के विरुद्धराज्यातिक्रम त्याग। विरुद्ध अपराध - 12. सिक्के तथा सरकारी 230-263 प्रतिरूपक व्यवहार एवं स्टाम्प्स सम्बन्धी अपराधों विरुद्ध राज्यातिक्रम त्याग। 13. माप-तौल सम्बन्धी अपराध 264-267 हीनाधिक मानोन्मान अतिचारों का त्याग। 14. सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा, 268-294 अहिंसा, सत्य तथा इनके सुविधा, सदाचार तथा समस्त अतिचारों शिष्टाचार के विरुद्ध का त्याग अपराधों के विषय में 4545454545454545454545454545454545 - 51 प्रसममूर्ति आचार्य शान्तिसागर मणी स्मृति-ग्रन्थ 549 1545767454545454545454545454555555

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