Book Title: Prashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Mahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali

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Page 560
________________ 卐199555555555555 | था जो मनुष्य-मनुष्य, परिवार-परिवार और गांव-गांव के बीच आपसी TH लड़ाई-झगड़े, हत्या, हिंसा, लूटमार, आगजनी आदि हिंसक तौर-तरीकों को रोकने का बड़ा कारगर अहिंसक उपाय सिद्ध हुआ। इसने अन्याय, अतिक्रमण, 45 अत्याचार, हत्या, युद्ध आदि हिंसक पद्धतियों को कानून और न्याय से जोड़ा - तथा इन बातों को राजकीय सुरक्षा के दायरे में लाकर उन्हें खत्म कर दिया। कृषि की क्रांति के बाद दुनियां में धातुओं तथा अग्नि के उपयोग की LE क्रांति तथा बाद में औद्योगिक क्रान्ति का प्रादुर्भाव हुआ। उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के देशों में यूरोपीय राष्ट्रों का साम्राज्यवादी तथा उपनिवेशी प्रभाव बढ़ा, पर उसके साथ ही राज्यों की सत्ता तथा शक्ति भी बढ़ी। राज्यों में आपस में युद्धों की संख्या और तीव्रता भी बढ़ी, जिसकी परिणति इस शताब्दी के प्रारम्भ में प्रथम विश्व महायुद्ध में हुई, जिसमें लाखों सैनिक मारे गये, लाखों लोगों को हिंसा, लूटमार, अत्याचार और घातक बीमारियों का, अकाल, अभाव और मृत्यु का शिकार होना पड़ा। जैन धर्म द्वारा, प्रतिपादित 'प्रमत्तयोग प्राणव्यपरोणं हिंसा के अनुसार तो युद्ध हिंसा का सबसे बड़ा और क्रूर साधन है जो मानव जाति के उद्भव से लेकर आज तक उत्तरोत्तर अधिकाधिक हिंसक, अत्याचारी, पीड़ादायी और जीवन के साधनों को नष्ट करने वाला होता गया है। अगर मानव जाति को सुखजिंदा रहना है तो अन्तर्राष्ट्रीय पैमाने पर युद्ध को गैर कानूनी करार देना होगा। इसके होने पर पूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय नियंत्रण रखना होगा, और अन्त में - इसकी आवश्यकता, औचित्य तथा संभावना को ही खत्म कर देना होगा। आज युद्ध और हिंसा के साधन अणु बम, अणु हथियार, हवाई जहाज और मिसाइल इतने घातक-संहारक हो गये हैं कि अगला विश्वयुद्ध मनुष्य जाति और मानव - संस्कृति का ही समूल नाश कर देगा। इसके बाद उस दुनियां में थोड़े बीमार ' लोग कहीं बचेंगे भी तो वे फिर पाषाणयुग में जीने लगेंगे। अतः सम्पूर्ण TE युद्ध-निषेध विश्वशांति की दिशा में सबसे आवश्यक महत्त्वपूर्ण और कारगर ना पहला कदम होगा। दुनिया भर के सारे बड़े धर्म यदि संपूर्ण युद्ध-निषेध का + समर्थन करें तो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इसे मान्य करने तथा इसे लागू करने TE में बड़ी मदद मिल सकती है। सिद्धान्ततः सारे धर्म प्रेम, शांति, अहिंसा और करुणा के बहुत बड़े समर्थक रहे हैं। पर कोई भी धर्म युद्ध का पूर्ण 4 विरोधी नहीं रहा, बल्कि वे सब युद्ध के समर्थक ही रहे हैं और उन्होंने युद्ध 514 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ । $455FTE 5145154545545645655555

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