________________
41414141414141$$$$$$74145145
4 प्लूटार्क, सर आईजक न्यूटन, महान चित्रकार लिना? डार्विसी, डॉक्टर ऐनी फ
बेसेन्ट, अलबर्ट आइंस्टाइन, जार्ज वर्नार्डशा, टालस्टाय, सुकरात व यूनानी : दार्शनकि अरस्तु आदि सभी शाकाहारी थे। शाकाहार ने ही उन्हें सहिष्णुता, । दयालुता, अहिंसा आदि सद्गुणों से विभूषित किया। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाईन कहते थे-शाकाहार का हमारी प्रकृति पर गहरा प्रभाव पड़ता है, यदि पूरी दुनियां शाकाहार को अपना ले तो इन्सान का भाग्य पलट सकता है। यूनानी दार्शनिक पायथागॉरस के शिष्य रोमन कवि सैनेका जब शाकाहारी बने तब उन्हें सुखद और आश्चर्यजनक अनुभव यह हुआ कि उनका मन पहले से अधिक स्वस्थ, सावधान और समर्थ हो गया है। जार्ज बर्नार्डशां को डाक्टरों ने कहा कि यदि आप मांसाहार नहीं करेंगे तो मर जायेंगे। इस पर बर्नार्डशां ने कहा कि मांसाहार से मृत्यु अच्छी है। उन्होंने डाक्टरों से कहा कि यदि मैं बच गया तब मैं आशा करता हूँ कि आप शाकाहारी हो जायेंगे। बर्नार्डशां तो बच गये किन्तु डाक्टर शाकाहारी नहीं बने। उस महान आत्मा ने साथी जीवों को खाने की बजाय मर जाना स्वीकार किया। सभी सूफी संत शाकाहारी थे और घूम-घूम कर शाकाहार का प्रचार किया करते थे।
इसी प्रकार महात्मा गांधी का बच्चा जब सख्त बीमार हुआ तो डाक्टरों ने उनसे कहा कि यदि इसे मांस का सूप नहीं दिया गया तो यह जिन्दा नहीं रहेगा, किन्तु महात्मा गांधी ने कहा कि चाहे जो परिणाम हो मांस का
सूप नहीं देंगे। बच्चा बिना मांस के प्रयोग के ही बच गया। TE महात्मा गांधी ने तो यहाँ तक कहा, कि "मेरे विचार के अनुसार गौ रक्षा
का सवाल स्वराज्य के प्रश्न से छोटा नहीं है। कई बातों में मैं इसे स्वराज्य के सवाल से भी बड़ा मानता हूँ।" आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद जी लिखते हैं-मांस का प्रचार करने वाले सब राक्षस के समान हैं, वेदों में मांस खाने का कहीं भी उल्लेख नहीं। शराबी व मांसाहारी के हाथ का खाने में भी शराब-मांसादि खाने-पीने का दोष लगता है।
ऋषि दयानंद जी की देशवासियों को घोर चेतावनी-गौ आदि पशुओं के पविनाश से राजा और प्रजा दोनों का विनाश होता है।
SL5454545LSLSLSLS
प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
535
45454545454545454545454545454545