Book Title: Prashammurti Acharya Shantisagar Chani Smruti Granth
Author(s): Kapurchand Jain
Publisher: Mahavir Tier Agencies PVT LTD Khatuali

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Page 565
________________ फफफफफफफफफफफफफ 555554645556575-5-5-574! आडम्बर और प्रदर्शन की ओर न हो । समाज के सही विकास के लिये यह आवश्यक है कि समाज रूढ़ियों और कुरीतियों से मुक्त हो। बालविवाह, मृत्युभोज, अनमेल विवाह, दहेज प्रथा, मादक पदार्थों का सेवन, विवाह-शादियों में अनाप-शनाप खर्च जैसी कुरीतियों में महिलाओं को संगठित होकर योजनाबद्ध तरीके से प्रयत्न के उन्मूलन करना आवश्यक है । इतिहास इस बात का साक्षी है कि नारी ने समाज को पतन की ओर धकेला है तो उन्नति की ओर भी अग्रसर किया । जब नारी अपने संयम और शील से विमुख हुई है, अपने को दुर्बल और दब्बू समझा है, अपने भोग्यस्वरूप को प्रधानता दी है तब वह युद्ध का कारण बनी, वासना का कारण बनी। ऐसे विकृतरूप की सन्तों ने निन्दा की, भर्त्सना की है समाज के लिए उसे बाधक माना है, साधना में उसे विघ्न माना। पर, नारी के सात्विक संयमशील रूप की सर्वत्र प्रशंसा की है। शक्ति और प्रेरणा के रूप में उसने समाज को आगे बढ़ाया है। पथभ्रष्ट पुरुष वर्ग को उसने सचेत कर सही रास्ते पर आरूढ़ किया है। हमारे संविधान में लिंग के आधार पर स्त्री और पुरुष में कोई भेद नहीं किया गया है। प्रत्येक स्त्री में अपनी समस्त शक्तियों का विकास करने की अद्भुत सामर्थ्य है। आज तो उसके लिए सभी क्षेत्र खुले पड़े हैं। शैक्षिक, सामाजिक, व्यावसायिक, राजनैतिक आदि सभी क्षेत्रों में वह आगे बढ़कर समाज के बहुआयामी विकास में अपना योगदान कर सकती है। पर उसे इस बात का स्मरण रखना होगा कि वह सृजन शक्ति की अधिष्ठात्री देवी है और उसका दोहरा दायित्व है। पारिवारिक सम्पन्नता के लिए वह किसी भी क्षेत्र में अपना दायित्व निभाने के लिए योग्य और सक्षम है। वह अर्थ का उपार्जन करे पर सन्तति व परिवार की उपेक्षा करके नहीं। यदि घर बाजार और रसोईघर होटल बन गया तो फिर अर्थ किस काम का? यदि अर्थ अनर्थ का साधन बनता है तो वह काम का नहीं। सम्पत्ति विपत्ति न बने, वह सच्चे अर्थों में सम्पदा बने, सभ्यता और शान्ति देने वाली बने । नारी स्वभाव से स्नेहशील और सेवाभावी होती है। आज जीवन में कुंठ और तनाव, समाज में जो बिखराव और विग्रह है, उसका एक प्रमुख संकीर्णता और स्वार्थ-वृत्ति है। नारी अपनी सेवा भावना से इस स्वार्थ कारण भाव को परमार्थभाव में बदल सकती है। वैज्ञानिक उपकरणों ने आज घर-गृहस्थी को सरल और सुविधापूर्ण बना दिया है। आज की नारी को पहले !!!!!!! प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ 519 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐

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