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वक्ता-श्रोता के उपयोग की सार्थकता देखकर ही उनका प्रयोग करता है। किसे मुख्य किया जाय और किसे गौण किया जाये यह वक्ता की इच्छा और
तात्कालिक आवश्यकता पर निर्भर करता है। आ. समन्तभद्र स्वामी ने कहा 1 है-"विवक्षितो मुख्य इतीस्यतेऽन्यो गुणो विवक्षो न निरात्मकस्ते" अर्थात्
विवक्षा की जाये वह मुख्य और जिसकी विवक्षा न की जाये वह गौड़ होता है, किन्तु गौड़ अभिवात्मक नहीं होता।
नयों का निरूपण करने वाले आचार्यों ने उनका शास्त्रीय आगमिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विवेचन किया है। शास्त्रीय दृष्टि से नय के दो भेद हैं-द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक । चूंकि वस्तु द्रव्य पर्याय अथवा सामान्य विशेष रूप है अतः उसका सर्वांगीण विवेचन करने के लिये द्रव्य और पर्याय दोनों पर दृष्टि देना आवश्यक होता है। शास्त्रीय दृष्टि, कार्य सिद्धि के लिये कार्य-कारण अथवा निमित्त- नैमित्तिक पर दृष्टि रखती है। अंकुरोत्पत्ति में जिस प्रकार बीज रूप उपादान आवश्यक है उसी प्रकार मिट्टी, पानी, हवा रूप निमित्त को अपनाना अनिवार्य होता है। आ. समन्त भद्र स्वामी ने कहा
है-"बाहृयेतरोपाधि समग्रतेयं कार्येषु ते द्रव्य गति स्वभावः"-अर्थात् कार्य 51 F की उत्पत्ति में बाह्य (निमित्त) और आभ्यंतर (उपादान) कारणों की
समग्रता-पूर्णता होना द्रव्यगत स्वभाव है। शास्त्रीय दृष्टि से जीव की शुद्ध-अशुद्ध स्वभाव-विभाव भेद-अभेदादि सभी दृष्टियों का विवेचन है। यदि जीव की कर्मोदय जनित अवस्था को स्वीकृत न कर सर्वथा सिद्ध रूप अवस्था को ही स्वीकृत किया जाय तो मोक्ष प्राप्ति के लिये पुरुषार्थ करना व्यर्थ हो जाता है। शास्त्रीय दृष्टि निश्चय रत्नत्रय प्राप्ति के लिये देवशास्त्र गुरु की प्रतीति, तत्त्वज्ञान तथा पंचपाप के परित्याग, देश चारित्र और सकल चारित्र TE को स्वीकृत करती है।
अध्यात्मिक दृष्टि से आत्म तत्व को लक्ष्य में रखकर वस्तु का विवेचन किया जाता है। 'आत्मनि इति अध्यात्म तत्रभवं आध्यात्मकम इस व्युत्पत्ति के अनुसार समग्र प्रयत्न आत्म तत्व पर केन्द्रित किया जाता है। आध्यात्मिक दृष्टि से नयों के दो भेद हैं-निश्चय और व्यवहार । निश्चय नय आत्मा के यथार्थ शुद्ध स्वरूप को दिखाता है और व्यवहार नय पर निमित्त जन्य TE | विभाव-भावों से सहित अपरमार्थ रूप को बताता है। इसी अभिप्राय को लेकर
श्री कुंद-कुंद स्वामी ने निश्चय नय को भूतार्थ और व्यवहार नय को अभूतार्थम
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प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ THEHHHHHHIFIEI रानासानानानानानानानाना