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मुनि शान्ति धुलेता आये रे, दरशन कर दिल हुलसाये।।
मिथ्यामद मार भगाया, अरु सत्य धर्म चमकाया।
मुनि ने मधु मांस छुड़ाया।। श्रावकजन नियम दिलाये रे, दरशन कर।।
गुरु ऋषभदेव में आये, सम्यक्त्व कर्म समझाये।
रिपु क्रोध रु काम भगाये।। नित शान्ति सुधा बरसाये रे, दरशन कर।।
माणिकाबाई के सितारे, श्री भागचन्द्र के प्यारे।
गुरु हैं मुनिराज हमारे।। श्री शान्तिसिन्धु मन भाये रे, दरशन कर।।
किया कामदेव को दूरा, अरु मोहमहामद चूरा।
हैं ज्ञानध्यान भरपूरा।। अरि कर्म समूह दबाये रे, दरशन कर।।
हे वीर बन्धुओं जागो, आलस अरु माया त्यागो।
उस ही मारग में लागो।। जो मार्ग मुनीश बताये रे, दरशन कर।।
यह गया समय नहीं आवे, नहीं बार-बार मुनि आवे।
हम पुण्य रु धर्म कमावे।। यह विनय महेन्द्र' सुनाये रे. दरशन कर।।
पं. महेन्द्रकुमार
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प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
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