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15454545454545454545454545454545 卐 श्री के विहार और उपदेश से निश्चित रूप से भगवान महावीर के सर्वजीव —
समभाव, सर्वधर्म समभाव एवं अपरिग्रहवाद का सर्वत्र प्रचार होगा। जनता निग्रन्थ साधुओं के प्रति आकृष्ट होगी तथा सर्वत्र समाज में समन्वय एवं धार्मिक वात्सल्य के भाव उत्पन्न होंगें : शतायुष्य होकर पूज्य उपाध्याय श्री सर्वत्र विहार करते रहें - ऐसे तपस्वी साधु को पाकर सारा समाज गौरवान्वित
सहारनपुर
डॉ. नीलम जैन
511 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
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