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है कि जैनेतेर समाज भी उपाध्यायश्री का प्रवचन अपने यहां कराने को,
लालायित हो रहा है। एक दिन सिक्ख समाज के कुछ व्यक्ति आये थे और - अपनी शंकाओं का समाधान कर रहे थे। किसी जैन साधु के इतने व्यापक
प्रभाव को देखकर बड़ी प्रसन्नता होती है। पूज्य उपा. श्री के प्रति इसी तरह जन-जन की भावना बढ़ती रहे हम तो यही कामना कर सकते हैं। सारा विहार आज उपाध्याय ज्ञानसागर जी मय हो चुका है तथा उनके आगमन पर पलक-पावड़े बिछाने को तैयार है।
इस तरह उपाध्याय श्री ज्ञानसागर महाराज समाज की आशाओं के केन्द्र हैं जिनके विहार से एवं उपदेशों से भगवान महावीर के सर्वजीवसमभाव, सर्वधर्म समभाव, अपरिग्रहवाद का सर्वत्र प्रचार होगा। जनता निर्ग्रन्थ साधुओं के प्रति आकृष्ट होगी तथा सर्वत्र समाज में समन्वय एवं धार्मिक वात्सल्य के भाव पैदा होंगे। ऐसे साधु को पाकर सारा समाज गौरवान्वित है।
जयपुर
डॉ. कस्तूरचंद कासलीवाल
"प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ । नानानानानाLETELELETE