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यहां से आप दस्सरा, पीलपुर होते हुए कलोल पधारे। कलोल, अहमदाबाद
के पास मेहसाना के निकट एक बड़ा कस्बा है जहां नरसिंहपुरा जाती के
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दिगम्बर जैन अच्छी संख्या में रहते हैं, महाराज श्री कलोल में तीन दिन ठहरे। उपदेश हुआ, धार्मिक पाठशाला यहां अच्छी चल रही है। यहां से विहार कर महाराज श्री वापिस अलुवा बलासप, फालक, बत्राल होते हुए पुनः तारंगाजीसिद्ध क्षेत्र पहुंचे ।
तारंगा जी का मेला
तारंगा जी सिद्धक्षेत्र पर चैत्र शुक्ला 11 से 15 तक बड़ा भारी मेला लगता है, यहां सिद्धक्षेत्र ईडर के पास प्रसिद्ध है। यहां पर कोटि शिला और सिद्ध शिला नाम से दो सुंदर पहाड़ हैं। साढ़े तीन करोड़ मुनि यहां से मोक्ष गये हैं। इस मेले में दूर-दूर से हजारों यात्री आते हैं। यहां चैत्र शुक्ला 14 को शांतिपुंज में महाराज श्री का केशलोंच हुआ। उस समय उपस्थित जनसमाज ने हजारों का दान दिया ।
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उसी समय श्री शांतिसागर आत्मोन्नति भवन का उद्घाटन हुआ। रायदेश, साबरकांठा से तथा अन्य स्थानों से बहुत दान में सहायता प्राप्त हुई। उनमें से 3000 रुपये ब्रह्मचर्य आश्रम तारंगा जी, 4 हजार रुपये आत्मोन्नति भवन तारंगा जी, 4 हजार रुपये ईडर बोर्डिंग सरस्वती भवन, 2 हजार रुपये ग्रंथमाला को दिये गये। यहां पर सोनासन वाले गांधी जीवराज ने 12 हजार रुपये ईडर बोर्डिंग और आश्रम को दान दिये। जिस कारण उनके नाम को बोर्ड बोर्डिंग पर लगाया गया। बोर्डिंग का नाम भी उन्हीं के नाम से रखा गया है। जो कि अभी चल रहा है। महाराज श्री के सान्निध्य में ज्येष्ठ शुक्ला 5 श्रुत पंचमी के दिन यहां बोर्डिंग, श्राविका आश्रम, सरस्वती भवन और ग्रंथमाला चारों संस्थाओं का उद्घाटन हुआ।
पुनः जन्मस्थल की तरफ
ईडर से विहार कर महाराज श्री गोडाकर (विजयनगर), बावल बाड़ा होते हुए खूणादरी पधारे। खड़ग प्रान्त में खूणादरी ऋषभदेव भगवान का एक अतिशय क्षेत्र है। यहां पर अष्ट धातु की जिसमें स्वर्ण भी शामिल है आदिनाथ भगवान की भव्य व विशाल प्रतिमा है, आज भी दूर-दूर से दर्शनार्थी आते
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प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ
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