________________
-
-
-
$147414756454554766545454545454545
और खड्ग प्रान्त की पाठशालाओं को बँटवाई। . । यहां पर चातुर्मास में धार्मिक पाठशाला महाराज श्री ने खुलवाई, जिसमें
35-40 छात्र-छात्रायें उन दिनों धर्म शिक्षा ले रहे थे। इस प्रकार महाराज श्री ने यहां का चातुर्मास सफलता से संपन्न कर, वहां से विहार किया और गढ़ी, सागवाड़ा, डलुका, आंजणा अर्थोना होते हुए गलियाकोट पधारे। गलियाकोट : में प्राचीन कला युक्त दिगम्बर जैन मंदिर है। यह स्थान मुसलमानों में बहरा जाति का बड़ा तीर्थ स्थान है। यहां पर धर्मोपदेश देकर महाराज श्री ने धार्मिक पाठशाला खुलवाई। यहां से विहार कर महाराज श्री चीतरी कुवा होते हुए पीठ नाम के गांव पधारे। यहां पर कुछ दिन ठहर कर धर्मोपदेश दिया और यहां से विहार कर बाकरोल, बामनवाडस होते हुए महाराज बाकानेर (गुजरात) पहुंचे। यहां दो दिन ठहरे। यह गांव शांतिसागर जी महाराज के बहनोई श्री पानाचन्द जी का गांव है, जिसका हम पूर्व में उल्लेख कर आये हैं। यहां पर दो दिन ठहर कर धर्मोपदेश दिया और यहां से विहार कर भीलोडा आये। यहां पर श्री केशरिया जी के विशाल मंदिर जैसा बावन जिनालययुक्त अति प्राचीन विशाल जिनमंदिर है, यह केशरिया जी के मंदिर से भी प्राचीन कहा जाता है। पूर्व भट्टारकों ने इस मंदिर को देखकर इसके अनुसार नक्शा तैयार कर श्री केशरिया जी का मंदिर बनवाया है। आज भी यह मंदिर कलात्मक व प्राचीन ऐतिहासिक रूप से दर्शनीय है।
भीलोड़ा से विहार कर महाराज श्री ने चिन्तामणि पार्श्वनाथ आकर तीर्थ के दर्शन किए, चिन्तामणि पार्श्वनाथ से विहार कर महाराज मुरेठी होते हुए गोरेल पधारे।
यहां पर सूय देश के जैनी भाई महाराज श्री की वंदना के लिये आये। उन्होंने महाराज श्री के धर्मोपदेश श्रवणकर यथोचित नियम व व्रत ग्रहण किये। पश्चात् महाराज ईडर पधारे, यहां पर मंगसिर सुदी 14 को केशलोंच के लिये सभा की व्यवस्था राजकीय स्कूल के सामने मैदान में समाज ने की थी। महाराज श्री के उपदेश का गुजरात की समाज व जैनेतर भाईयों पर अच्छा प्रभाव पड़ा। यहां की समाज ने महाराज श्री के उपदेश व प्रेरणा से जैन बोर्डिंग श्राविकाश्रम, ग्रंथमाला और सरस्वती भवन स्थापित किये। यहां ईडर के सरस्वती भवन में 8500 हस्तलिखित शास्त्रों का भण्डार है, और 17 ग्रन्थ ताड़पत्रों की कर्नाटक लिपि में लिखे मौजूद हैं। क्योंकि ईडर में भट्टारक 237
प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर भणी स्मृति-ग्रन्थ ।
-