________________
555555555555555555555555555 'बेलूर के बाहुबलि भगवान के दर्शन कर आप पुनः मूलबिद्री, मैगलोर, बैंगलोर 卐
होते हुए मैसूर पधारे। मैसूर से श्रवणबेलगोला की यात्रा करते हुए आप हुबली TE
आये। वहां से सोलापुर होकर कुन्थलगिरी सिद्ध क्षेत्र जहां देशभूषण, कुलभूषण । 4 मुनि मोक्ष गये हैं वहां आये। वहां की वंदना कर मांगीतुंगी और गजपंथा आये।
इन यात्राओं में कलकत्ते के सेठ लक्ष्मीनारायण जी और श्री पंडित झम्मन लाल जी तर्कतीर्थ का समागम आपको मिला। ___ पश्चात् कलकत्ता, दिल्ली, हस्तिनापुर, कानपुर, वबनार से होते हुए श्री
सम्मेदशिखरजी आप पधारे। यहां पर तीन वंदना कर आप कलकत्ता भागलपुर, - चंपापुर, मंदारगिरि, नबादा, गुणावा, पावापुरी, कुण्डलपुर की यात्रा करते हुए ।
राजगृही (पंचपहाड़ी) पधारे। यहां तीन दिन ठहरकर पांचों पर्वतों की वंदना 4. TH की। यहां के प्राकृतिक गरम जल के कुण्डों में स्नान कर यात्री अपनी थकावट
दूर करते हैं। यहां से पुनः बनारस, श्रेयांसपरी (सारनाथ) चन्द्रपरी के दर्शन - E कर आप अयोध्या आये। यहां के दर्शन कर आप कानपुर, झांसी होते हए -
सोनागिरि पधारे। सोनागिरि के पर्वत पर के सब मंदिरों व नीचे के मंदिरों 57 के दर्शन कर मथुरा आप आये। यहां चौरासी क्षेत्र में जम्बूस्वामी के दर्शनकरी LE जयपुर होते हुए अजमेर आये। यहां तीन दिन ठहरे। यहां पर मुनिराज LE
चन्द्रसागर जी व ऐलक पन्नालाल जी के आपको दर्शन हुये। अजमेर से
अहमदाबाद, औरान, ईडर होते हुए केशरियाजी आये, यहां से पुनः ईडर आकर । IF चातुर्मास किया, पर्दूषण पर्व में यहां 10 उपवास किये। फिर गुजरात व मेवाड़ - के गांवों में विहार करते हुए पुनः केशरियाजी के दर्शन कर देवल पधारे।
देवल में उनके मामा रहते थे, मामी को उपदेश देकर मिथ्यात्व छुड़ाया। देवल से वाग्वर प्रान्त के गांवों में विहार करते हुए सागवाड़ा आये, यहां गमनीबाई नाम की एक धर्मात्मा बाई रहती थी उनके यहां आहार किया। वहां से नौगामा बागीदौरा होकर कलींदरा आये यहां जंगल में श्री पार्श्वनाथ भगवान का एक अतिशय क्षेत्र है उनके दर्शन कर पुनः बागीदौरा आये, यहां एक पंडित माणिकचंद जी रहते थे उनसे शास्त्र चर्चा की यहां स्वाध्याय व उपदेश का अच्छा आनंद रहा वहां से नौ गांव, ढलकी होकर आप गढ़ी आये।
221
प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
1195745454545454545454545454545