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पं. मक्खनलाल पीताम्बरदास का साथ हो गया। फिर आस-पास के गाँवों में 6 महीने तक विहार करते हुए नागफणी पार्श्वनाथ के दर्शन किये फिर महावीरजी के दर्शन करके कुणदणी में आदिनाथ स्वामी की मनोज्ञ प्रतिमा - के दर्शन किये। वहां से केसरियानाथ आये और दर्शन करके देवलग्राम आये। वहाँ आपने अपने मामाजी मामीजी को जैन संस्कारों से युक्त किया। डूंगरपुर आकर अपनी बहिन के यहाँ आहार किया। इसके पश्चात आपका विहार का कार्यक्रम बनता रहा। आंतरी में अपने काकाजी के यहाँ तीन चार दिन ठहरे। यहाँ से पं. बधचन्द जी के साथ सागवाड़ा आये। यहाँ 15-20 दिन रहे। एक दिन गमनीबाई के आहार किया। वहाँ से परतापुर आये। 24 दिन ठहरे। वहाँ से नौगामा होते हुए बागीदौरा गये। वहां दो दिन ठहरे। वहाँ राजाबाई
बड़ी धर्मात्मा थी। उनके यहाँ 2 दिन तक आहार किया। वहाँ से कलोंदरा 1 होते हुए करेंडा पार्श्वनाथ गये। यहाँ मंदिर गाँव में हैं। प्रतिमाजी प्राचीन है।
वहाँ एक तालाब भी है। यहाँ 6 दिन रहे। वहाँ से बागीदोरा आये। यहाँ 8 दिन रहे। वहाँ के पं. मणिकचन्द जी अच्छे पंडित हैं। यहाँ उपदेश दिया। शास्त्र स्वाध्याय किया। वहाँ से चलकर नौगामा आये। फिर पणकी आये। 8 दिन तक रहे। वहाँ से गढ़ी आये।
1 गठी में मंडल विधान एवं स्वप्न दर्शन
गढी में जैन समाज अच्छी संख्या में है। वहां के कस्तुरचंद जी ने अढ़ाई द्वीप का मंडल मंडा कर उस पर पूजा की थी। आपके वहाँ रहने से 卐 विधान पर पूजाएं करने में और भी आनन्द आया। आप प्रवचन भी करते TE थे। आसपास के पर्याप्त संख्या में समाज के भाई-बहिन एकत्रित हुये वहाँ
पर आप 22 दिन ठहरे। यहाँ पर आपने पाँच स्वप्न देखे4 (1) प्रथम स्वप्न में एक गाय देखी जो सब आदमियों को मारने दौड़ती थी।
आपने कुशलता पूर्वक उस गाय को पकड़ कर बांध दिया। (2) दूसरे स्वप्न में सूत की जयमालाएं देखी। आप ने उनको लेकर एक-एक
माला सभी को जप करने के लिए बांट दी। TE (3) तीसरे स्वप्न में काष्ठ का कमण्डल देखा। (4) चतुर्थ स्वप्न में जैन बन्धुओं के समूह को साथ मंदिरजी जाते देखा।
पंचम स्वप्न में स्वयं भगवान के दर्शन किये।
| प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
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