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आचार्य श्री शान्ति सागर जी महाराज 'छाणी' ने दुनिया के सामने अहिंसा और अपरिग्रह की जो अमिट छाप छोड़ी है, वह सदा स्मरणीय रहेगी। उन्होंने समाधि साधना के समर में विजय प्राप्त कर इस भूमि को पावन और मोक्षमार्ग के पथ को सरल बनाया। उनके अनुरूप अपनी प्रवृत्ति को धर्ममय बनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धाञ्जलि होगी।
मैं
पुनः पुनः अपनी श्रद्धाञ्जलि उनके चरणों में अर्पित करता हूँ ।
कमल कुमार जैन
शाहपुर मुजफ्फरनगर
समाधि-साधक
श्रद्धाञ्जलि
आचार्य श्री हमारे देश के उन महान् सन्तों में से एक थे, जिनका जन्म देश, जाति एवं धर्म के उत्थान के लिए हुआ था। जब जैन समाज अंधेरे में भटक रहा था और अपने पृथक् अस्तित्व को खोने की स्थिति में था, तब आचार्य श्री एक सूर्य के समान उदित हुए और धर्म की ज्योति चारों दिशाओं में छिटकायी। उन आचार्य श्री के चरणों में श्रद्धाञ्जलि अर्पित है।
शाहपुर मुजफ्फरनगर
दीपक जैन
शत-शत वन्दन
परम वीतरागी आचार्य शान्ति सागर जी छाणी महाराज के प्रति सारा दिगम्बर जैन समाज भक्ति एवं श्रद्धा से ओत-प्रोत है। राजस्थान में छाणी महाराज ने निर्ग्रन्थ परम्परा को पुनर्जीवित किया और दिगम्बर मुनि कैसे होते हैं, उनका आहार, उनकी चर्या विहार एवं उपदेश कितने प्रभावक होते हैं, इन सबका उन्होंने अपने पावन जीवन से बोध कराया। वे सिंहवृत्ति के धारक साधु थे और अपनी चर्या से सबको प्रभावित कर लेते थे। वे ज्ञानी थे, ध्यानी
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प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ
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