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卐 हैं। जयवंत रहें वह आचार्य श्री शान्तिसागर जी छाणी महाराज जिनके पावन 卐
आशीर्वाद से उनकी महामंगल मय परम्परा का भव्यता एवं अश्रुणता पृ निर्वाह हो रहा है। उनकी पावन परम्परा में वर्तमान में अनेक साधुसन्तों के
बीच उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज जैसे युग के श्रेष्ठतम प्रभावी हैं TE जिन्होंने जैनधर्म, जैन संस्कृति और जिनवाणी को प्रकाशवान् तो किया ही
जैन समाज को गौरवान्वित किया। अनेक सन्तों को जन्म देकर आचार्य श्री शान्तिसागर जी छाणी महाराज की महान् वीतरागी परम्परा को जयवंत किया है। वर्तमान शताब्दी के महान् सन्त पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने आचार्य श्री के विस्मृत व्यक्तित्व को इस स्मृति ग्रंथ के रूप में प्रकाश मानकर
अपनी पावन श्रद्धा भक्ति का जो अर्ध चढ़ाया है, अवश्य ही सम्पूर्ण समाज TE उपाध्याय श्री के इस उपकार के प्रति युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेगी। 51
टीकमगढ़ (म०प्र०) प्रतिष्ठाचार्य पं० विमलकुमार जैन सोरया श्रीमहावीर जयंती 94
सम्पादक - वीतरागवाणी मासिक
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प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ -
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