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दीक्षित शोभित मुनिवर सारे, ज्ञान सुमति अरू सूर्यसमी हैं, विमल ज्ञान के सिन्धु युवा, गरिमा गर्वित अन्य सभी हैं। अध्यात्ममार्ग में अर्पित हैं, अरू शिवपुर पथ परिचायक हैं, भावी सन्तति मंगल जीवन की, अध्यात्म कथा उपदेशक हैं। बने विरोधी भी अनुयायी, मिथ्यातम दूर भगाया है, शांतिसागर छाणी मुनिवर को, शत शत नमन हमारा है।
(5) करपात्री अरू वेश दिगम्बर, हित चिन्तन नित करते थे, कल्याण मार्ग परिचायक थे, शाश्वत निधियों के आगर थे। प्रशममूर्ति मुनि छाणी जग में, आकर फिर दर्शन दे डालो, भक्तों की अनुपम आशाओं में, सोऽहम ही भर डालो। स्वयं सचेती दृष्टि बदौलत, बदला जीवन सारा है,
शांति सागर छाणी मुनिवर को, शत शत नमन हमारा है। 51 सागर (म.प्र.)
पं. शिखरचन्द जैन
श्रीशान्तिसागर चम्पूखण्ड-काव्यम्
नमःश्रीशान्तिवीराय, ब्रह्मचर्यव्रतात्मने। संयतसंघनाथाय, जनोदबोधनकारिणे।1111
यज्जन्मना राजसुदेशछाणीक्षोणीति भागः जगति प्रसिद्धः । पित्रोःप्रसिद्धिर्हिः यदीयनाम्ना
धन्योऽभवद् भारतराष्ट्रभागः |12|| अथाविद्यातिमिरनिवृत्तये केवलदासेन राजस्थानीय विद्यालये सुरीत्या गुरुसानिध्ये स्वप्रतिभामाध्यमेन विद्याभ्यासःकृतः। किञ्च___ लोके हि अन्ये मानवाः जागृतदशायामेव स्वबुद्ध्या धार्मिकाचारविचार कुर्वन्ति, परं भागचन्द्रात्मजः केवलदासः स्वकीयसंस्कारबलेन पवित्रमनोवचनकायप्रभावेण च शयनदशायामपि श्रीसम्मेदशिखर वन्दन बाहुबलिपूजनादि112
प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
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