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श्रद्धाञ्जलि
जिन्होंने मुमुक्षु प्राणियों को मोक्ष मार्ग की दिशा बताई, ऐसे परम दिगम्बर मुनिराज शान्तिसागर जी (छाणी) के चरणों में मेरी श्रद्धाञ्जलि सादर समर्पित
बामौरकला (शिवपुरी)
स. सि. नरेन्द्रकुमार जैन
दीप-स्तम्भ
प्रातः स्मरणीय, सहजता, सरलता की प्रतिमूर्ति, परम पूज्य आचार्य श्री | 108 श्री शान्तिसागर जी छाणी महाराज का व्यक्तित्व एवं कृतित्व दोनों ही विस्मृति के अन्धकार में लगभग खो गये थे। उस प्रभावक व्यक्तित्व को उजागर करने का प्रशंसनीय कार्य परमपूज्य उपाध्याय 108 ज्ञानसागर जी महाराज ने किया।
आचार्य श्री ने स्वयं अपने आप में चारित्र रूपी दीपक को प्रज्वलित करते हुए, अनेकों साधकों के अबुझ दीपकों को आलोकित कर, समता रूपी प्रकाश से भर दिया। ऐसे मणितुल्य कांतिमान्, दीपस्तम्भ के पावन पुनीत चरणों में मैं अपनी भावभीनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित करती हुई कोटिशः नमन करती हूँ। सागर
कु. अनीता जैन
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प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ नानानानानानानानानानानाना
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