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संयम की प्रतिमूर्ति
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उत्तर भारत में श्रमण संस्कृति के पुनरूत्थापक. प्रशम मूर्ति आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज, त्याग, तपस्या एवं संयम की प्रतिमूर्ति थे। आपने भारत वर्ष में ज्ञान एवं संयम की नई ज्योति जगाई। आज भी आपकी परम्परा के अनेक तपस्वी सन्तों का समागम समाज को प्राप्त हो रहा है। आचार्य श्री शान्ति सागर छाणी स्मृति ग्रन्थ के प्रकाशन के इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं अपनी विनयांजलि आचार्य श्री के चरणों में अर्पित करता हूँ।
बुढाना (मुजफ्फरनगर) 251 309
पंकज कुमार जैन चार्टर्ड इंजीनियर
बेमिशाल सन्त
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परमपूज्य उपाध्याय 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज के शाहपुर (उ. प्र.) चातुर्मास के पावन अवसर पर स्मृति ग्रन्थ प्रकाशन का अभूतपूर्व निर्णय लिया गया। आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज छाणी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध करने हेतु युवकों के विभिन्न दल दूर-दराज स्थानों पर गये। आचार्य श्री जी के व्यक्तित्व एवं आचार अपने आप में बेमिशाल थे। स्मृति ग्रन्थ के प्रकाशन के शुभ अवसर पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। बुढ़ाना (मुजफ्फरनगर) उ.प्र.
हंस कुमार जैन
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प्रशममति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
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