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थे तथा कितने ही ग्रन्थों के निर्माता थे। वे हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनका पावन जीवन आज भी हमें स्वपर का बोध कराता है। सुपथ पर चलने का पाठ पढ़ाता है। भगवान् महावीर एवं उनके पश्चात् होने वाले सभी अचार्यों का स्मरण कराता है।
ऐसे परम पावन वीतरागी सन्त के चरणों में मेरा शत-शत वन्दन है।
नरेन्द्र कुमार कासलीवाल
जयपुर
प्रभावक आचार्य
जब मैंने सुना कि आचार्य श्री शान्ति सागर जी महाराज छाणी का स्मृति ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है, तो मुझे बडी प्रसन्नता हुई। आचार्य श्री अपने युग के महान् प्रभावक आचार्य थे। उन्होंने स्वयं की प्रेरणा से मुनिलिंग धारण किया। और उनको महान् सफलता प्राप्त हुई। उन्होंने श्रमण धर्म का प्रशस्त स्वरूप देश एवं समाज के सामने रखा।
ऐसे महान् तपस्वी आचार्य श्री के चरणों में शत-शत वन्दन करता हूँ ।
महावीर नगर जयपुर
सुरेन्द्र कुमार जैन बाकलीवाल एम. ए.
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निस्परिग्रही साधक
परम श्रद्धेय आचार्य शान्ति सागर जी छाणी स्मृति ग्रन्थ का प्रकाशन निःसंदेह ही एक प्रशंसनीय कदम है। आचार्यों एवं जैन सन्तों के जीवन पर जितना प्रकाश डाला जावे, वही कम रहेगा। आचार्य शान्तिसागर छाणी महाराज तो अपने समय के युग पुरुष थे, उन्होंने भगवान् महावीर की अहिंसा, अनेकान्त एवं अपरिग्रह का जितना प्रचार किया और अपने निर्ग्रन्थ जीवन से तत्कालीन समाज को अहिंसक मार्ग पर चलाया। उनका जीवन प्रशस्त, पूर्ण निष्परिग्रही था । ऐसे महान् सन्तों पर जितना भी साहित्य प्रकाशित होगा, वही कम रहेगा। मैं उनके चरणों में पूर्ण श्रद्धा के साथ नमन करती हूँ ।
सुशीला बाकलीवाल
जयपुर
प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ
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