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ज्ञानपुज
मोक्षमार्ग के साधक आचार्य श्री ने त्याग, तप की जो ज्योति जलाई, वह चिरकाल तक भावी पीढ़ी के लिए निर्देशन का कार्य करेगी। वह हमारे - प्राचीन श्रमण परम्परा में आये एक सन्त हैं। जीवन के प्रति उनका विराग
भाव केवल शब्दों में नहीं, अपित क्रियात्मक रूप में आधनिक यग का एक
अदभुत चमत्कार है। वे पूरे मानव समाज के निर्देशक एवं आराध्य हैं। उन्होंने - जैनधर्म की ध्वजा को पूरे भारत में फहराया। 4 ऐसे तपस्वी दिगम्बर जैनाचार्य एवं ज्ञानपुंज गुरूवर के चरणों में TE नतमस्तक होकर विनम्र कोटिशः श्रद्धाञ्जलि श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ।
शाहपुर
राजभूषण जैन
श्रद्धाञ्जलि
आचार्य श्री का घोर दुर्धर तप, जैनधर्म के सूक्ष्म तथ्यों का गहन 1 अध्ययन, जैनधर्म के प्रति अगाध श्रद्धा आदि ने सम्पूर्ण जैन समाज को अपनी ओर आकर्षित किया था।
यह आचार्य श्री का ही प्रभाव था कि जिनकी परम्परा में परमपूज्य 108 आचार्य श्री सुमतिसागर जी महाराज एवं 108 आचार्य कल्प विद्याभूषण सन्मति - सागरमहाराज, उपाध्याय मुनि श्री ज्ञानसागर जी आदि के ससंघ दर्शन हो
रहे हैं। पूज्य उपाध्याय मुनि ज्ञानसागर जी के दर्शन से उनकी मुख्य परम्परा, गुरू की छवि, वात्सल्य, निस्पृहता, ज्ञान की गंभीरता और उनकी उत्कृष्ट चर्या का ज्ञान हो जाता है। । ऐसे महान् आचार्य के लिए मैं भी पूर्ण श्रद्धा के साथ शत शत वन्दन
नमन करती हूँ।
ललितपुर
श्रीमती अनन्ती बाई सर्राफ 430 959959595555555555
प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ