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प्रकाशदीप
परमपूज्य 108 आचार्य शान्तिसागर महाराज छाणी जी की स्मृति हेतु स्मृति ग्रन्थ प्रकाशन का निर्णय लिया है, जो स्तुत्य है ।
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पू. आचार्य महाराज का चातुर्मास ललितपुर में संवत् 1982 सन् 1925 हुआ था। महाराज श्री की प्रेरणा से यहां शान्ति सागर दि. जैन पाठशाला की स्थापना की गई थी । यह पाठशाला आज ललितपुर दि. जैन पंचायत के अधीनस्थ संस्था हैं, जो बढ़कर कन्या जूनियर हाई स्कूल के रूप में विकसित है । आजकल इसमें कक्षा 1 से 8 तक लगभग 350 छात्राएं लौकिक शिक्षण के साथ धार्मिक शिक्षण प्राप्त कर रही हैं।
यह विद्यालय ललितपुर जनपद में सबसे प्राचीन विद्यालय है । पू. आचार्य महाराज उत्कृष्ट घोर तपस्वी, परमज्ञानी और दिगम्बर परम्परा में प्रमुख मुनि थे। इनके संघ में ललितपुर आगमन के समय तीन मुनि महाराज थे।
पू. महाराज दिगम्बर परम्परा के प्रकाशदीप थे। उनके श्री चरणों में मेरा कोटिशः नमन ।
ललितपुर
सिंघई शीलचन्द
श्रद्धाञ्जलि
परमपूज्य 108 आचार्य शान्तिसागर जी छाणी अपने समय के आदर्श सन्त थे । राजस्थान में छाणी ग्राम में पैदा होने से राजस्थानवासियों को उन पर पूरा गर्व है। आचार्य श्री महिलाओं में व्याप्त कुरीतियों के सख्त खिलाफ थे, इसलिए बागड प्रदेश में महिला समाज से उन्होंने कितनी ही बुराईयों को दूर किया। आचार्य श्री महिला शिक्षा के पक्षपाती थे और उनकी जीवनी से पता चलता है, कि उन्होंने महिलाओं के विकास में अपनी पूरी प्रेरणा दी। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि ऐसे महान् आचार्य के संबंध में स्मृति ग्रन्थ का प्रकाशन हो रहा है, जिसकी मैं हृदय से प्रशंसा करती हूँ। उनके प्रति मैं अपनी श्रद्धाञ्जलि समर्पित कर रही हूँ। हम सब उनके बताये हुए मार्ग पर चलें इसी में हमारी भलाई है।
जयपुर
प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति ग्रन्थ
(श्रीमती) सरोज छाबड़ा
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