________________
फफफफफफफफफ
फफफफफफफफफफफ
आचार्य
अपने समय के हुए हैं और उनके शिष्य आचार्य सूर्यसागर जी से
मेरा सम्पर्क रहा है, जो स्वयं एक बड़े आचार्य हुए हैं। पूज्य क्षुल्लक गणेश प्रसाद जी वर्णी महाराज उनको गुरुतुल्य मानकर मार्गदर्शन प्राप्त करते रहे हैं। जब उनका समाधिमरण डालमिया नगर में हुआ उस समय मेरे स्व. पिता जी एवं माताजी उनके चरणों में रहे। वे एक महान् आचार्य रहे हैं । मैं आचार्य शान्तिसागर जी छाणी के चरणों में शत-शत वन्दना करता हूँ। अहिंसा मंदिर, देहली प्रेमचन्द जैन, अध्यक्ष
वीतरागी सन्त
परमपूज्य आचार्य शान्तिसागर जी अपने युग के महान् सन्त थे । वे
छाणी ग्राम के होने के कारण छाणी उपनाम से प्रसिद्ध थे। यद्यपि मैं उनके दर्शन तो नहीं कर सका, लेकिन वे वीतरागी सन्त थे तथा उत्तर भारत के महान् दिगम्बराचार्य थे। "ज्ञानध्यानतपोरक्तः तपस्वी सः प्रशस्यते" वाला लक्षण उन पर पूरी तरह लागू होता था। परमपूज्य उपाध्याय ज्ञानसागर जी महाराज ने उनके विस्तृत जीवन को पुनः प्रकाश में लाने का बहुत बड़ा कार्य किया है।
हमें भी उन जैसा जीवन प्राप्त हो, इसी भावना के साथ मैं उनके चरणों में सादर श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ ।
खतौली
उपसर्गविजेता आचार्य
आचार्य शान्तिसागर जी महाराज अपने युग के महान् आचार्य थे। वे अपनी साधना, तपस्या, त्याग एवं प्रभावक प्रवचन शैली के लिये प्रसिद्ध थे । उन्होंने राजस्थान, मालवा, गुजरात आदि में विहार करके दिगम्बरत्व का प्रचार किया। उन्होंने कितने ही उपसर्गों पर सहज ही में विजय प्राप्त की और दिगम्बर जैन साधु का जीवन कितना स्वाभाविक एवं चमत्कारिक होता है यह उनके जीवन में देखा जा सकता है।
ऐसे महान् आचार्य श्री के चरणों में अपनी विनयपूर्वक श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ ।
जयपुर
योगेश जैन
5 प्रशममूर्ति आचार्य शान्तिसागर छाणी स्मृति-ग्रन्थ
महेश चन्द जैन
25
5555555
555555555555555