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७८ : सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्र शास्त्रो अभिनन्दन-ग्रन्थ
“पर्युषण पर्व आ गया। पं० फूलचन्द्रजी यहाँ थे ही अतः सूत्रजी पर उनका सारगर्भित व्याख्यान होता था।"
(भा० २ पृ० २९४) ८. तीव्र वेदना
कार्तिक कृष्णा ११ सं० २००८ को शारीरिक अवस्था विकृत होनेसे एक फोड़ा हो गया। फोडाका आपरेशन हुआ तब पं० फूलचन्द्रजी सा० उनके पासमें थे। वर्णीजीने कहा"आपरेशनके समय पं० फूलचन्द्रजी पास में थे।"
(भा० २ पृ० ३०३) मार्गशीर्ष २९ को चौधरी जीके मन्दिरमें प्रातःकाल जनता सम्मेलन हुआ। पं० श्री फूलचन्द्रजीने अपने व्याख्यानमें कालेजको उत्तरोत्तर वृद्धिंगत करें, सौमनस्यसे काम करें, ताकि समाजकी युवा पीढ़ीका भविष्य उज्ज्वल हो । पं० जीके प्रवचनका सार कहते हुए वर्णीजीने अपने व्याख्यानमें कहा
"पं. फुलचन्द्रजीका भी व्याख्यान हुआ और आपने इस बातका प्रयास किया कि सब सौमनस्यके साय कालेजका काम आगे बढ़ावें ।"
( भा० २ पृ० ३०३) ९. पपौरा और अहार क्षेत्र
मार्गशीर्ष शुक्ल ५ सं० २००९ को मेलोत्सव पर अपार जनता आई हुई थी। पं० फूलचन्द्रजी सा० की उपस्थितिसे समाज अत्यन्त धर्म लाभान्वित हो रहा था। धर्म-प्रचारसे मेलाकी शोभा बढ़ रही थी। पं० फूलचन्द्र जी साहबकी उपस्थितिसे मेलाकी जो उन्नति हुई, उसको व्यक्त करते हुये पूज्य वर्णीजीने कहा"पं० फूलचन्द्रजीके पहुँच जानेसे मेलाको बहुगुणी उन्नति हुई।"
( भा० २ पृ० ३०५) पं० फलचन्द्रजीका वर्णीजीके पास आना और तत्त्व-चर्चाका तो उल्लेख मेरी जीवन गाथाके दोनों भागोंमें अनेक स्थलों पर देखनेको मिलता है।
पं० फूलचन्द्रजीने परवती मूल संघ आम्नायी आचार्यों द्वारा रचित शास्त्रोंका मन्थन कर कर्म सिद्धान्त के एक-एक विषय पर जितनो कुशलता एवं बुद्धिमत्तापूर्वक वर्णन किया, उसका वर्णन करना सम्भव नहीं है । सिद्धान्तके क्षेत्रमें आपकी पैठ बहुत गहरी है।
___इस प्रकार असंदिग्ध रूपसे कहा जा सकता है कि पं० फूलचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्री विद्वान् आर्षाम्नायी है । सिद्धान्त प्रतिपादनमें वे बेजोड़ हैं । इसलिये सिद्धान्त ग्रन्थोंकी उनके द्वारा की गयी टीका जैन दर्शनकी अनुपम निधि है।
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