________________
९० : सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्र शास्त्री अभिनन्दन-ग्रन्थ जैन-सिद्धान्तके प्रखर विद्वान् • भैया राजकुमार सिंह, इन्दौर
श्री सिद्धान्ताचार्य पंडित फूलचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्रीसे मेरा सम्पर्क कई वर्षोंसे है। दश-लक्षण पर्व और अन्य धार्मिक एवं सामाजिक समारोहोंमें पंडितजी अनेक बार आमंत्रित होकर इन्दौर पधारे और यहाँकी जनताको अपने प्रभावक एवं कल्याणकारी वक्तृत्वसे अपूर्व लाभ पहुँचाया । पंडितजी सरलता और सादगीके आदर्श है। संयत और नपी-तुली भाषामें जैन सिद्धान्त और आध्यात्मका सार श्रोताओंको समझाने की आपकी विशेषता है। आप जैन सिद्धान्तके प्रखर विद्वान् और विद्वानोंमें अग्रगण्य हैं।
प्राचीन षट्खंडागम सूत्रकी धवला, जयधवला और महाधवल टीकाओंका हिन्दी अनुवाद एवं विद्वत्ता पूर्ण सम्पादनके कारण आपकी समाजमें विशेष ख्याति है । जैन विद्या, संस्कृति और साहित्यके लिये पंडितजीकी अमूल्य सेवायें हैं । उनके मधुर व्यवहार, स्पष्टवादिता, सहनशीलता, स्वाभिमानता, उदारता और प्रामाणिकतासे समाज गौरवान्वित है । ग्रन्थ सम्पादन एवं लेखन कार्यमें निरन्तर रहते हुए गृहस्थ होकर भी आप एक योगीका सा जीवन व्यतीत कर रहे हैं । समाजको आपने बहुत कुछ दिया है । आपके विचारोंमें प्राचीनता और आधुनिकताका स्वस्थ सामंजस्य है।
श्री पं० फूलचन्द्रजी सौभाग्यसे हमारे समीप ही दि० जैन उदासीनाश्रममें आकर शान्तिमय जीवन व्यतीत करते हुए अपना ग्रन्थ सम्पादन कार्य कर रहे हैं और प्रतिदिन अपने अध्यात्म प्रवचन द्वारा श्रोताओंको लाभ पहुँचा रहे हैं।
पंडितजी प्रारंभसे ही राष्ट्रीय भावनाओंसे ओतप्रोत होनेसे शुद्ध खादीके वस्त्र पहनते आये हैं। आज आपके महपाठी श्री पं० जगन्मोहनलालजी, पं० कैलाशचन्द्रजी सिद्धान्ताचार्य इस प्रकार यह रत्नत्रयी हमारे समाजकी अनुपम विभूति है । निःसंदेह आपकी सेवाओंसे हमारा समाज उपकृत है। समाज और विद्वानोंके समक्ष अपने साधनापूर्ण जीवनसे आपने अपूर्व आदर्श प्रस्तुत किया है ।
पंडितजीके प्रति इस अभिनन्दनके महान् आयोजन सुअवसर पर मैं अपनी अभिनन्दनांजलि अर्पित करते हुए उनकी दीर्घायुकी कामना करता हूँ।
प्राचीन भारतीय परम्पराके मनीषी •श्री महाराजा बहादुर सिंह, इन्दौर
आदरणीय सिद्धान्ताचार्य पंडित फूलचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्री, वाराणसी हमारे समाजके मूर्धन्य विद्वान् हैं। स्वास्थ्य लाभ हेतु कुछ समय तक इन्दौरमें रहनेसे आपके सान्निध्य एवं अनेक बार धार्मिक प्रवचनोंका लाभ मुझे मिलता रहा है।
मैं आपके सौम्य स्वभाव, सादगी पूर्ण जीवन और निरभिमानी व्यक्तित्वसे प्रभावित हूँ । पंडितजी प्राचीन भारतीय परम्पराके मनीषी हैं, जिन्होंने अपने शोधपूर्ण लेखों एवं ग्रन्थों द्वारा भारतीय साहित्यको समृद्ध किया है । जैन शास्त्रों पर उनका गहन चिन्तन है। अनेक विषयोंपर शास्त्रीय प्रमाणोंके आधारपर उन्होंने पाठकोंको दिशा दान दिया है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org